जहानाबाद/बिहार(संवाददाता अनिल कुमार गुप्ता) – विवेकानंद केंद्र,कन्याकुमारी की शाखा जहानाबाद में स्थापित हो के उद्देश्य से स्वामी सहजानंद सरस्वती पुस्तकालय-सह-वाचनालय, जहानाबाद के कक्ष में एक बैठक बुलाई गई। राजकिशोर शर्मा के संयोजकत्व में इस बैठक में मान्य अतिथि के बतौर प्रवीण दावोलकर, अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी, मुकेश खीर प्रांत संगठक, बिहार-झारखंड, सुधीर कुमार अम्बष्टा,प्रांत सह प्रमुख,अभय नारायण, विवेकानंद केंद्र, गया ने भाग लिया।

बैठक की शुरुआत स्वामी विवेकानंद के चित्रपट पर पुष्प अर्पित कर हुई।दीप प्रज्वलन एवं ओम् शांति पाठ से बैठक की विधिवत शुरुआत हुई। डीएवी, स्कूल, जहानाबाद के शिक्षक डॉ अनिल कुमार ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से विवेकानंद विराट व्यक्तित्व को उपस्थिति लोगों के सामने रखा।

राजकिशोर शर्मा, संयोजक, स्वामी सहजानंद सरस्वती पुस्तकालय-सह-वाचनालय, जहानाबाद की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक को संबोधित करते हुए श्री प्रवीण दावोलकर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की एकमात्र चिंता थी एक राष्ट्र के रूप में अपना स्वत्त्व खो चुके भारत को उसका खोया स्वत्त्व लौटाना और जनसामान्य को ऊपर उठाना।इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उनकी व्यग्रता उनके जीवन काल में प्रकट होती रही। उन्होंने कहा कि शिकागो, अमेरिका सर्व धर्म परिषद से लौटने के बाद देशवासियों को जागृत करने के उद्देश्य से आह्वान किया,”उठो!जागो! लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत।”राष्ट्र-निर्माण का लक्ष्य विवेकानंद द्वारा दिए इस महामंत्र को जीने से ही प्राप्त हो सकेगा।इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जहानाबाद में विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की शाखा खोलने का निर्णय लिया गया है। मुकेश कीर ने राष्ट्र जागरण के स्वामी विवेकानंद जी के संदेश को गीत के माध्यम से रखा। सुधीर कुमार अम्बष्टा एवं अभय नारायण जी ने विवेकानंद केंद्र, संचालन के तरीकों एवं केन्द्र के द्वारा समय-समय पर चलाये जानेवाले कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। अपने सम्बोधन में राजकिशोर शर्मा कहा कि स्वामी विवेकानंद को इस देश में धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर देखा जाता है। यही कारण है कि इस देश में और दुनिया में भी विवेकानंद जी के चिंतन की विराटता को बहुत ही गम्भीरता से लिया जाता है।सर्व धर्म परिषद, शिकागो में दिए गए भाषण से जो भारत की छवि बनी,उस छवि को हमें जीने की आवश्यकता है।सर्व धर्म समभाव, वसुधैव कुटुंबकम्, विश्वबन्धुत्व, सर्वे भवन्तु सुखिन की भावना शब्द मात्र न रहकर जिया जाए।ऐसा करके ही हम सनातन धर्म के महान चिंतन को शाश्वतता प्रदान कर सकते हैं। भारतीय जनमानस में स्वामी विवेकानंद जी को सम्पूर्णता में लाने की जरूरत है।

बैठक में 11 सितंबर,2022 को विवेकानंद जी की स्मृति में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।11 सितंबर वह दिन है,जिस दिन विवेकानंद जी ने 1893 में सर्व धर्म परिषद, शिकागो में प्रथम भाषण दिया था।

इस बैठक में शहर के अनेक बुद्धिजीवियों ने भाग लिया एवं अपनी बातें रखीं।प्रो डॉ रविशंकर शर्मा,प्रो रमेश शर्मा, अशोक प्रियदर्शी, सत्येन्द्र पाठक, शिक्षक अरुण कुमार, सुधीर कुमार सिंह, प्रेम कुमार समेत शताधिक लोगों ने भाग लिया। डीएवी, स्कूल, जहानाबाद के शिक्षक श्री चितरंजन जी ने कवित्वमय शैली में संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन बीबीएम, महाविद्यालय के प्राध्यापक प्रो रमेश कुमार ने किया।

updated by gaurav gupta 

loading...