*विश्व में शांति के लिए महा हरिनाम संकीर्तन यात्रा*

*—शहर भर की गलियों में गूँजेगा शांति का संदेश*

*—हरे कृष्ण महामंत्र विश्व को एकसूत्र में पिरोने का एक माध्यम*

 

वंदना गुप्ता ने बताया आज देश में कहीं उत्सव की धूम है तो कहीं देश के उस पार भय, पीड़ा और दुखों से पीड़ित शोकसंतप्त परिवार अपनों को खोने के लिए गमगीन हैं। *लंबे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और अब इज़रायल-हमास के बीच चल रहा युद्ध विश्वयुद्ध जैसी चिंता का विषय है।* ऐसे में निश्चित ही हम विश्व शांति के लिए उस शक्ति के नियंता (‘श्रीकृष्ण’) से प्रार्थना करते हैं जो कि इस भौतिक जगत का संचालन कर रहे हैं। इसके लिए इस्कॉन द्वारका की ओर से 22 अक्टूबर रविवार को हरि नगर क्षेत्र में महा हरिनाम संकीर्तन यात्रा निकाली जा रही है, जिसमें लगभग दो से तीन हजार भक्त सम्मिलित होंगे।  

हरिनाम संकीर्तन अर्थात हरे कृष्ण महामंत्र–हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे–का कीर्तन करते हुए भक्त शहर भर की गलियों में संकीर्तन यात्रा के माध्यम से शांति का संदेश देंगे। *देश-विदेश से आए शुद्ध भक्त हरिनाम का उच्चारण करेंगे।* माना जाता है कि जब यह महामंत्र किसी शुद्धभगवद्भक्त द्वारा प्रेमपूर्वक उच्चारित होता है तो श्रोताओं पर इसका सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। इसका तात्कालिक प्रभाव प्राप्त करने के लिए इसे अवश्य सुनना चाहिए और इस कीर्तन में भाग लेना चाहिए। यही नहीं भावविभोर होकर नृत्य भी करना चाहिए। जैसे ही हम हरे कृष्ण कीर्तन में प्रगति करते हैं, हम अनुभव करने लगते हैं कि वास्तव में भगवान हमारे साथ हैं।

*परम पूजनीय गोपाल कृष्ण महाराज की प्रेरणा से इस्कॉन द्वारका यह महा हरिनाम यात्रा निकाल रहा है।* यात्रा का संचालन कर रहे अर्चित प्रभु का कहना है कि इस महा हरिनाम संकीर्तन के दो उपदेश हैं। प्रथम उपदेश यही है कि जिस प्रकार से विश्व में अशांति की व्यवस्था बनी हुई है उसमें सकारात्मक विचारधारा कैसे लाई जाए। *इसके संदर्भ में श्रील प्रभुपाद ने जो कि इस्कॉन के संस्थापकाचार्य हैं, उन्होंने सन 1966 में अमेरिका में इस्कॉन की स्थापना की और उस समय वहाँ अश्वेत एवं श्वेत संप्रदाय के बीच बहुत बड़ा विवाद चल रहा था लेकिन उसके बावजूद भी श्रील प्रभुपाद ने इस हरे कृष्ण महामंत्र के माध्यम से उस विचारधारा को समाप्त करके एक स्थान पर उनको स्थापित कर बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया कि हरे कृष्ण महामंत्र वास्तविक रूप से विश्व को एकसूत्र में पिरोने का एक माध्यम है।* यही वजह है कि आज इस्कॉन को पूरे विश्व में हर धर्म, हर मजहब के लोग इसे अपना रहे हैं और शांति को प्राप्त कर रहे हैं।

और दूसरा जैसा कि ज्ञात हो कि 24 अक्टूबर को दशहरा है। इस दिन भगवान राम ने असत्य के ऊपर सत्य की विजय स्थापित की थी। किस प्रकार से मानव समाज के हर जीव के अंदर असत्य की प्रवृत्ति बनी हुई है जिसकी वजह से आज वे दुख भोग रहे हैं। *दुख का कारण यही है कि उनके अंदर जो आसुरी दुष्प्रवृत्ति है उसे खत्म करके राम की शिक्षाओं को कैसे धारण किया जाए।* उसके लिए ही यह हरिनाम संकीर्तन कराया जा रहा है। अतः हम सरल शब्दों में समझ सकते हैं कि विजयादशमी यानी दशहरे के दिन को उत्सव के रूप में मनाने से पूर्व पहले हमें अपने अंदर से आसुरी जैसी चेतना को खतम करके भगवान राम को अपने ह्रदय में स्थापित करना होगा।

इस अवसर पर सभी से अनुरोध है कि रविवार को अवकाश के इस दिन का सदुपयोग करते हुए सभी लोग संकीर्तन यात्रा में भाग लें और इसका श्रवण करें जिससे सभी को दिव्य आनंद की अनुभूति एवं आध्यात्मिक लाभ मिल सके।

कलियुग के जीवों के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु ने भी बल देकर कहा कि वे इस कृष्णभावनामृत आंदोलन को स्वीकार करें। कृष्ण का अर्थ है सर्वआकर्षक और राम का अर्थ है परम आनंद देने वाला। इसलिए हमें कलियुग के संकीर्तन यज्ञ अर्थात भगवान के पवित्र नामों का कीर्तन करना चाहिए।

श्रीमद्भागवतम के 12वें स्कंध के तीसरे अध्याय के 51वें श्लोक में भी स्पष्ट कहा गया है कि:

कलेर्दोषनिधे राजन्नस्ति ह्येको महान् गुणः।

कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसंगः परं व्रजेत्।। (श्रीमद्भागवतम 12.3.51)

*कलियुग में हजार दोष हैं परंतु इसमें एक अच्छा गुण भी है कि केवल हरे कृष्ण महामंत्र के कीर्तन से मनुष्य भवबंधन से मुक्त हो सकता है और भगवान के दिव्य धाम को प्राप्त कर सकता है।*

उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किए जाएँगे। रास्ते में सुंदर रंगों से रंगोली भी बनाई जाएगी। संकीर्तन यात्रा में भाग लेने वाले भक्तों के लिए प्रसादम की व्यवस्था भी की गई है।

updated by gaurav gupta 

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