सहरसा/बिहार– कोसी क्षेत्र का नाम सुनते हीं लोगों के जहन में एक बड़ा प्रलयकारी दृश्य बन जाता है। परंतु इसी कोसी के लोगों ने कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाकर देश हीं नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है।

आज हम बात कर रहे हैं सहरसा की रहने वाली मीनाक्षी की, जिन्होंने अपनी कला यात्रा के दौरान अनेक संघर्षों का सामना करते हुए आज पेंटिंग के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।वह अपनी कला के माध्यम से हर बार कुछ नया प्रयास करती हैं. उन्होंने पेंटिंग के क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए, जिसके कारण उन्हें अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सहरसा के केंद्रीय विद्यालय से शिक्षा की शुरूआत करने वाली मीनाक्षी ने बताया कि मुझे बचपन से हीं पेंटिंग करने का शौक था।शुरूआती दौर में स्कूल में आयोजित फाइन आर्टस क्लास में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी देती थी और वहां हल्की-फुल्की पेंटिंग किया करती थी।मध्यम वर्गीय परिवार से होने के बावजूद भी उनके पिता ने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी।
कौन हैं मीनाक्षी :-
सहरसा जिला के कायस्थ टोला की रहनी वाली मिनाक्षी के पिता अरविंद कुमार रेलवे गार्ड के रूप में कार्यरत हैं एवं माता जी पूनम देवी एक कुशल गृहिणी हैं। मीनाक्षी ने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय सहरसा से शुरू होकर एमएलडी कॉलेज सहरसा से गणित से स्नातक कर पेंटिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने का प्रयास कर रही हैं।उन्होंने बताया कि मुझे पेंटिंग का शौक बचपन से हीं था।

स्कूलों में अयोजित पेंटिंग की प्रतियोगिता होती थी तो उस प्रतियोगिता में वे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी।और किसी भी पेंटर को देखकर वह उनके पास खड़ी हो जाती थी और उसे देख उसका अभ्यास करती थी। बाद में मैं सहरसा निवासी योगेंद्र योगी के मार्गदर्शन में पेंटिंग से “विशारद” की शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर मीनाक्षी निरंतर पेंटिंग का अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वे मिथिला पेंटिंग, चारकोल वर्क, वाटर कलर, पोस्टर कलर आदि भी करती हैं जिसको देख लोग सोचने को मजबूर हो जाते हैं।उन्होंने बताया कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाली जिला युवा उत्सव में चित्रकला प्रतियोगिता में दो बार प्रथम स्थान एवं एक बार राज्य स्तरीय युवा उत्सव में प्रथम स्थान प्राप्त कर वे पुरस्कृत हो चुकी हैं. मीनाक्षी चार भाई – बहनों में सबसे छोटी हैं।

उन्होंने बताया कि “पापा मेरी कला को देख कर प्रसन्न रहते हैं और जब भी मौका मिलता है तो लोगों के बीच मेरी प्रशंसा भी करते हैं। बताते चलें कि घरेलू कार्यों में अपनी माँ का हाथ बंटाते हुए मीनाक्षी प्रतिदिन चित्रकला का अभ्यास करती है। मीनाक्षी अभ्यास को चित्रकला के लिए सबसे जरूरी चीज मानती हैं और कहती हैं कि निरंतर अभ्यास से हीं दक्षता आती है। पेंटिंग की पारंपरिक चीजों से इतर नित नए-नए चीजों का प्रयोग करना इन्हें बहुत भाता है।रिपोर्ट – चंचल कुमार, updated by gaurav

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