इस साल रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2017) के इस त्योहार पर नजर लगाए बैठा है भद्रा का साया. जी हां, इस रक्षाबंधन यानी 7 अगस्त को चंद्र ग्रहण होगा जो रात 10.52 से शुरू होकर 12.22 तक रहेगा. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाएगा. और ठीक इससे पहले भद्रा का असर होगा. चंद्रग्रहण पूर्ण नहीं होगा बल्कि खंडग्रास होगा. सुबह 11.07 बजे से बाद दोपहर 1.50 बजे तक रक्षा बंधन हेतु शुभ समय है. पंडितों के अनुसार भद्रा योग और सूतक में राखी नहीं बांधनी चाहिए.

पंडितों की मानें तो इस रक्षाबंधन यानी 7 अगस्त को चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक लगेगा. सूतक से कुछ देर पहले तक भद्रा प्रभावकारी होगा. भद्रा और सूतक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता, इसलिए इस वक्त राखी नहीं बांधी जा सकेगी. कुछ लोगों को शायद यह समझ न आए कि भद्रा से राखी का क्या कनेक्शन. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखि‍र भद्रा के दौरान बहनें क्यों नहीं बांध पाएंगी भाई को राखी. आख‍िर क्या है इसके पीछे की परंपरा और मान्यताएं…

कोई भी बहन नहीं चाहेगी कि उसकी किसी भूल के चलते उसके भाई का अहित हो या उसे कोई नुकसान हो. यही वजह है कि भद्रा में बहनें अपने भाईयों को राखी नहीं बांधतीं. जी हां, कहा जाता है कि सूर्पनखा ने अपने भाई रावण को भद्रा में ही राखी बांधी थी. और इसी वजह से रावण का विनाश हुआ था. यह भी एक बड़ी वजह है कि इस दौरान बहनें अपने भाई के हित को देखते हुए राखी नहीं बांधतीं.

प्रमुख तीन देवों में से यदि एक भी उपस्थि‍त न हो तो कोई भी पूजा या आराधना सम्पन्न नहीं मानी जाती. किसी भी हवन या पूजा आराधना के दौरान तीनों देवों का ध्यान किया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भद्रा काल में भगवान शंकर तांडव करते हैं. इस दौरान श‍िव के क्रोधि‍त होने के चलते ही कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.

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