नई दिल्ली : कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए हमारे 42 भारतीय जवानों को समूचा देश अपनी भींगी पलको से विदाई दे रहा है और हर गली चौराहे पर शहीदों की शहादत और कुर्बानी को याद करके श्रद्धांजली दे रहा है ऐसे में हमारे प्रशासनिक अधिकारियों ने भी शहीदों के परिवार वालों को अपना बना कर देश को बड़ा संदेश दे रहे हैं ।
आज हम आपको इसी देश के ऐसे अधिकारियों से मिलवाते हैं जिन्होंने अधिकारियों के लिए लोगों के मन में जो काली स्याही है उसे हटाने के लिए मिसाल कायम की है।
*इन अधिकारियों ने ऐसा काम किया है जो नेता और मंत्रियों को करना चाहिए था*। इन दोनों की इस पहल ने देश के अधिकारियों की आंखें भी खोल दी हैं हम इनके जज्बे को दिल से सलाम करते हैं ।
हम आपको बतादें कि देश की दूसरी महिला IPS अंजुम आरा और उनके IAS पति युनूस जी ने शहीद परमजीत की 12 साल की पुत्री को कुछ दिन पहले गोद लेकर अफसर बनाने की ठानी है।
इस पहल ने नौकरशाहों पर अक्सर संवेदनहीनता की लगने वाली तोहमत को भी धोने का काम किया है।
आम जन में धारणा बनती जा रही थी कि कुर्सी मिलने के बाद लोग रौब झाड़ते हैं, उऩ्हें समाज के दुख-दुर्द से मतलब नहीं होता। मगर इस दंपती ने ऐसी सोच पर करारा हमला करते हुए बड़ी मिसाल खड़ी की।
फिलहाल अंजुम सोलन शिमला में सोलन जिला की एसपी हैं और पति युनूस कुल्लू जिला के कलेक्टर हैं।
*हमारे बेटे को बहन मिल गई*

*कुछ दिन पहले पाकिस्तान बार्डर एक्शन टीम के हमले में पंजाब के तरनतारन के परमजीत सिंह शहीद हो गए थे। उनकी 12 साल की बेटी ने अंतिम संस्कार किया तो यह कारुणिक दृश्य देख लोग पिघल गए थे। शहीद की बेटी के बारे में जानकारी मिलते ही हिमांचल प्रदेश में तैनात इस अफसर दंपती ने गोद लेने का फैसला किया* हालांकि वे चाहते थे कि इस नेक काम का किसी को पता न चले, मगर कोई नेकी करे और उसकी खूशबू दूर-दूर तक न फैले, यह कैसे हो सकता है ?? जब इस पहल की चर्चा फैली तो सभी ने शहीद परमजीत सिंह की 12 साल की बेटी को गोद लेने के फैसले की वाहवाही की।
*अफसर दंपती का कहना है कि बेटी की पढ़ाई-लिखाई से लेकर सभी खर्च वो उठाएंगे*। युनुस और अंजुम आरा ने शहीद की पत्नी व अन्य परिवारवालों से भी इस बारे में बातकर उन्हें रजामंद कर लिया है। इस नौकरशाह दंपती का कहना है कि उनके पास एक छोटा सा बेटा है। अब शहीद की बेटी को अपनाने से बेटे के पास बहन भी हो जाएगी।
*बेटी को आईएएस-आइपीएस बनाएंगे*
अंजुम आरा का कहना है कि शहीद की बेटी अपनी इच्छा के मुताबिक उनके साथ या फिर अपनी मां के साथ रह सकती है। बेटी चाहे जहां भी रहे मगर वह पढ़ाई-लिखाई और हर चीज में सहयोग करेंगे। अगर बेटी आइएएस या आइपीएस बनना चाहेगी तो पति-पत्नी मिलकर उसे अच्छे से गाइडेंस देंगे।
*कौन है अंजुम आरा* ??
हम आपको बतादें की देश की दूसरी मुस्लिम आईपीएस अंजुम आरा यूपी के आजमगढ़ के छोटे से गांव कम्हरिया की रहने वाली हैं। इन्होंने जब आईपीएस बनने की ठानी तो लोगों ने हतोत्साहित किया, लेकिन हार नहीं मानी। फैमिली के सपोर्ट से अंजुम ने अपने सपनों को सच कर दिया इनके पति यूनुस आईएएस हैं।

रिपोर्ट – महेंद्र मणि पाण्डेय ( मुम्बई ) updated by gaurav

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