हर माँ के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं मैया यशोदा 

—मैया यशोदा और कन्हैया की बाल लीलाओं को याद करने का दिन

मई माह के दूसरे रविवार को पूरे देश और दुनिया में ‘मदर्स डे’ अथवा मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालाँकि सागर की तरह माँ के अथाह प्रेम को दर्शाने के लिए सिर्फ एक दिन पर्याप्त नहीं है मगर फिर भी माँ का आभार व्यक्त करने के लिए लोग इस दिन को एक उत्सव के रूप में उत्साह के साथ मनाते हैं। इस्कॉन द्वारका दिल्ली श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर में मदर्स डे को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

माँ यशोदा और उनके पुत्र कृष्ण की वात्सल्य और प्रेमभरी लीलाओं को पढ़ते-सुनते आँखें नम हो जाती हैं, जी भर आता है कि काश! एक क्षण के लिए माँ का ऐसा प्यार हमको भी मिल जाएँ! भगवान कृष्ण के प्रति माँ यशोदा का प्रेम अद्भुत और अतुलनीय है। इस दिन हम मैया यशोदा के उन प्रयासों और ममत्व को याद करते हैं जो हर पल उन्होंने बाल कृष्ण पर लुटाया था। मैया यशोदा के लालन-पालन और प्रेम को याद करने की सुखद अनुभूति आज हर माँ के लिए प्रेरणादायी है।

 

आइए हम वैसे ही लाड़-दुलार और प्यार को उन बच्चों के साथ साझा करें, जो उस प्यार से वंचित हैं। इस्कॉन द्वारका में सोसाइटी फॉर पार्टीसिपेट्री इंटीग्रेटेड डेवलेपमेंट ( स्पिड) नामक संस्था के कुछ ऐसे ही बच्चों को आमंत्रित किया जा रहा है। उनके जीवन में खुशी के पलों को बाँटने के लिए इन दिन का चयन किया गया है ताकि उन्हें भी माँ यशोदा के आशीर्वाद स्वरूप यह प्रेम मिल सके। स्पिड के संस्थापक अवधेश यादव बताते हैं कि, ‘समाज से आशाओं की उम्मीद में बँधे ये बच्चे मदर्स डे पर इस्कॉन द्वारका द्वारा आयोजित इस उत्सव में जाकर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। बच्चों को मार्गदर्शन मिलेगा, उनका समाज के प्रति जुड़ाव और भक्ति भाव बढ़ेगा। भगवान की शरण में रहने के कारण गलत राह पर नहीं भटकेंगे और उनका नैतिक विकास होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे कार्यक्रमों से इन बच्चों को भविष्य निर्माण में मार्गदर्शन मिलता है। हम इस्कॉन द्वारका के आभारी हैं कि उन्होंने निरंतर इस तरह के कार्यक्रमों द्वारा हमेशा इन बच्चों का उत्साहवर्द्धन किया है।’

उत्सव में मदर्स डे की खुशी में इन बच्चों को बाल गोपाल की तरह माखन मिश्री खिलाई जाएगी। इस अवसर पर ‘माँ के प्रति आभार’ की थीम पर शाम 4 बजे से 7 बजे तक पोस्टर मेकिंग वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया है जिसमें 8 से 15 साल तक की उम्र के बच्चे भाग लेंगे। इन चित्रों में बच्चों का माँ के प्रति अनोखे प्रेम की झलकियाँ देखने को मिलेंगी। विजेता बच्चों को भगवद्गीता यथारूप आदि अनेक उपहारों से पुरस्कृत किया जाएगा।

 

updated by gaurav gupta 

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