नई दिल्ली: आमतौर पर किसी भी शख्स के लिए ‘अपना घर’ खरीदना उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा वित्तीय फैसला होता है, सो, आजकल मकान खरीदने की कोशिशों में जुटे लोगों के बीच यही सवाल सबसे ज़्यादा चर्चा में है कि उत्पाद शुल्क (excise duty), मूल्य-वर्द्धित कर (वैट या VAT या वैल्यू एडेड टैक्स) तथा सर्विस टैक्स (service tax) जैसे लगभग एक दर्जन अप्रत्यक्ष करों के बदले 1 जुलाई से लागू होने जा रहे गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी का रीयल एस्टेट क्षेत्र पर क्या असर होगा.
अब एक सवाल यह भी है कि कई करों के खत्म हो जाने की वजह से मिलने वाले लाभ को अंतिम ग्राहक तक पहुंचाना कैसे सुनिश्चित किया जाए, सो, सरकार ने जीएसटी कानून में एन्टी-प्रॉफिटीयरिंग प्रावधान (anti-profiteering clause) जोड़ा है, जिसके तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (input tax credit) की वजह से होने वाली करों की कटौती का लाभ अंतिम ग्राहक तक पहुंचाना अनिवार्य होगा. जीएसटी में किए गए अहम बदलावों में से एक है इनपुट टैक्स क्रेडिट, जहां उत्पादन अथवा निर्माण अथवा सेवा प्रदान किए जाने के हर स्तर पर अदा किए गए टैक्स का इनपुट कर अगले स्तरों पर उसका लाभ लिया जा सकता है, और इससे ‘कर पर कर अदा किए जाने’, यानी ‘tax on tax’ से छुटकारा मिलेगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि रिहायशी रीयल एस्टेट सेक्टर में जीएसटी के लागू होने से खरीदारों के लिए भावनात्मक उछाल आएगा, जबकि डेवलपरों के लिए नई कर व्यवस्था की ओर शिफ्ट करने की अल्पकालिक चुनौतियां मुंहबाए खड़ी हैं. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, रीयल एस्टेट के क्षेत्र में कीमतों पर अल्पकालिक तौर पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.
एनारॉक प्रॉपर्टी कन्सल्टेंट्स के प्रमुख अनुज पुरी का कहना है, “जीएशटी की वजह से रिहायशी रीयल एस्टेट सेक्टर में अल्पकालिक तौर पर कीमतें भले ही कम नहीं होंगी, लेकिन इससे इस क्षेत्र में बेचने वालों, काम करने वालों और खरीदारों – सभी को लाभ होगा, क्योंकि सरलीकृत कर व्यवस्था की वजह से इस सेक्टर के बारे में लोगों की सोच बेहतर होगी…”
घरेलू ब्रोकरेज फर्म एडेलवीस सिक्योरिटीज़ ने एक रिपोर्ट में कहा है, “हमें उम्मीद है कि जीएसटी इस सेक्टर के लिए सकारात्मक परिणाम लाएगा, क्योंकि इसकी वजह से कीमतें एक से तीन फीसदी कम होंगी…”