महा शिवरात्रि को लेकर सभी शिवमंदिर सज- धज कर तैयार,रात निकली शिव बारात की टोली।
बनमनखी से सोहन कुमार कि रिपोर्ट।
बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र में महा शिवरात्रि पर्व को लेकर सभी शिव मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया है । आज बुधवार को लोगो ने विभिन्न मंदिर में रात को शिव विवाह के बारात की तैयारी में पुरे जोड़ शोर के साथ जुटे हुए है। मंदिरों तथा आसपास के जगहों पर कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए सीसीटीवी कैमरा की मदद ली जा रही है । इसको लेकर धीमेश्वर महादेव मंदिर में भव्य मैला का आयोजन किया गया है । इस मौके पर बनमनखी के निकट धीमेश्वर बाबा जहां जो श्रद्धालुओं श्रद्धा पूर्वक मांगता है उसका मांग पूरा होने की बात प्रचलित है । इसके अलावे रेलवे बैरेक, रेलवे बजरंग बली मंदिर, कोशी योजना मंदिर, ड्रेनेज मंदिर, राज हाट मंदिर, काझी के मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही है ।
महा शिवरात्रि के मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी मनोज कुमार एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कुंदन कुमार ने संयुक्त आदेश निकाल कर 14 से 17 फरवरी तक धीमेश्वर शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित मेला परिसर में अत्यधिक पुरुष व महिला श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित भीड़ होने की संभावना को देखते हुए विधि व्यवस्था के समुचित संधारण हेतु दंडाधिकारी पुलिस प्राधिकारी की प्रतिनियुक्ति किया गया है। जिसमें धीमा ग्राम चौराहा पर प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी बबलू कुमार, पुलिस पदाधिकारी सअनि वीरेंद्र कुमार, मेला परिसर में रविंद्र प्रसाद साह सांख्यिकी पर्यवेक्षक, मंदिर परिसर धीमा में अनिल कुमार साह कार्यपालक दंडाधिकारी अनुमंडल कार्यालय बनमनखी, पुलिस पदाधिकारी पुअनि कौशल कुमार सिंह, महिला प्रवेश प्रवेश द्वार धीमा पर उषा किरण बाल विकास परियोजना पदाधिकारी साथ में पर्यवेक्षिकाएं रंजना वर्मा, कुमारी मधु, रितु सोनी, सविता रानी, अस्मिता कुमारी, पुलिस पदाधिकारी सअनि वी.वी. मिश्रा, धीमा काझी पथ पर डा. किशोर झा प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी, पुलिस प्राधिकारी पुअनि संजीव कुमार चौधरी की प्रतिनियुक्ति किया है ।
अनुमंडल प्रशासन ने जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों के लिए तीन वाहन पार्किंग की व्यवस्था की है । एसडीपीओ कुंदन कुमार ने बताया कि इस मेला में महिला व पुलिस बल को भी लगाया गया है। जिसका सुरक्षा के जिम्मा बनमनखी थाना अध्यक्ष के के दिवाकर, इंस्पेक्टर वैद्यनाथ शर्मा आदि को सोपा गया है । एसडीपीओ श्री कुमार ने बताया कि इस मेला में उचक्कों एवं मनचले युवकों पर पुलिस की पैनी नजर रहेगी । इसके अलावा महिला व पुरूष पुलिस सादे लिवास में भी रहेंगे। मंदिर में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग बैरिकेडिंग लगाया गया है ।
[2/14, 6:40 PM] Sohan Kr Jha: कोशी-सिमांचल क्षेत्र के मिनी बाबा धाम के नाम से प्रसिद्ध है धीमेश्वर महादेव मंदिर।
पूर्णियां बनमनखी से सोहन झा की रिपोर्ट ।
बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र के काझी हृदयनगर पंचायत के धीमा ग्राम में अवस्थित धीमेश्वर नाथ महादेव मंदिर उन गिने चुने मंदिरों में से एक है जिसका उद्भव एवं निर्माण के पीछे कोई ना कोई असमान्य घटना की कथा सुनने को मिलती है। कहा जाता है कि सैकड़ो वर्ष पूर्व धीमा ग्राम के पवाय उर्फ बोकाय रजक कुदाल से खेत में जंगलो को सफा कर रहा थे। उसी क्रम में उसकी कुदाल जमीन में दबे शिवलिंग पर लग गई और रक्त की धारा निकलने लगी । यह खबर पूरे क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फैल गई। जब इसकी सूचना चंपानगर स्टेट के राजा को हुई तो वे अपने सदलबल के साथ उक्त स्थल पर पहुंचे और शिवलिंग को उखड़वाने लगे लेकिन अथक प्रयास के बाबजूद भी शिवलिंग नहीं उखड़ा तो राजा ने इसे ईश्वरीय शक्ति का रूप समझ कर छोर दिया। इसके बाद राजा व्यक्तिगत रूप से मंदिर निर्माण हेतु ईट का भट्ठा लगवाया। लेकिन जब कार्य सम्पादित कर ईट पकाने के लिए अग्नि प्रज्वलित करने लगी तो उसी समय प्रचंड आंधी-तूफान आयी और सब पर पानी फिर गया । कहा जाता है कि ऐसा कई बार हुआ और उस ईट भट्ठी में अग्नि प्रज्वलित नही हो सकी । फलतः ईट तैयार नही हुई। कहा जाता है कि कुछ समय बाद राजा को स्वप्न में भगवान ने व्यक्तिगत तौर पर नही जन सहयोग से मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया । इस बीच इसी गांव के एक गरीब ब्राह्मण प्रताप नारायण झा जो एक बहुत बड़ा शिव उपासक थे । जिन्होंने मंदिर निर्माण का प्रण ठान लिया एवं गांव-गांव जाकर चंदा जमा करने लगे। कई वर्षो तक हुए चंदे से प्राप्त धन राशि से सार्वजनिक मंदिर का निर्माण किया गया। इस शिवलिंग की खास विशेषता यह है कि इस तरह का शिवलिंग सिर्फ रामेश्वरम में है एवं स्पस्टिक और पारदर्शी है।
कुछ ग्रंथो और बुजुर्गो के मुताबिक हिरण्यकश्यपु भी इस जगह महादेव की उपासना की थी। जिससे उसको अमृत्व का वरदान मिला था। कहा जाता है कि भक्त प्रह्लाद भी इस जगह धीमेश्वर नाथ शाहदेव की पूजा-अर्चना करते थे। अभी यह जगह कोशी- सिमांचल क्षेत्र के लोग मिनी बाबा धाम के नाम से भी लोग जानते है। यहां सावन के महीने में भगवा वस्त्र पहनकर हजारों-हजार कमरिया कर्णप्रिय जयघोष के साथ उत्तर वाहिनी मनिहारी गंगा से जल भरकर के करीब सौ किलोमीटर की कठिन एवं कष्टप्रद यात्रा तय करके बाबा धीमेश्वर नाथ महादेव को जलाभिषेक करते है । यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला लगता है ।
शिव चतुर्दशी का क्या है महत्व :- अगर आप पाप के बुरे कर्मो के प्रभाव से बचना चाहते हैं तो शिवरात्रि में शिव चतुर्दशी का व्रत और पूजा-अर्चना आपको मोक्ष के द्वार खोल जाते हैं। चतुर्दशी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में चतुर्दशी का महत्व बताया गया है कि माघ के चतुर्दशी के दिन हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती की शादी का प्रस्ताव भगवान शिव के पास भेजा था। यानी इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी तय हुआ था। इस तिथि से ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन महिना के चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का माता पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान भोले शंकर को काफी पसंद है और शिवरात्रि के समान खास है । लेकिन उनमें माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशी भगवान भोलेनाथ को सबसे अधिक प्रिय है। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास की चतुर्दशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर भगवान शिव सहित मां पार्वती और गणेश की पूजा-अर्चना करते है उन पर शिव प्रसन्न होते हैं।
आप कैसे आए धीमेश्वर मंदिर :- शिवरात्री में बाबा धीमेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने के लिए आप सहरसा-मधेपुरा की तरफ से ट्रेन या फिर बस मार्ग से तो आपको बनमनखी बस स्टैंड आना होगा। इसके अलावा आप यदि पूर्णिया की तरफ से आते है तो भी आपको बनमनखी बस स्टैंड उतरना ही होगा । अररिया के भरगामा ब्लाक एवं रानीगंज ब्लॉक की तरफ से आते हैं तो आपको काझी, हरमुढी-रसाढ एवं बैरख-मलिनियां की तरफ से आपको बाबा मंदिर आना होगा। बनमनखी बस स्टैंड से महज 2.5 किमी की दूरी पर अवस्थित बाबा मंदिर उक्त बस स्टैंड से जीप, टेंपू रिक्शा आदि वाहन चलती है । बहुत लोग इतना कम दूरी पैदल भी बाबा का नाम लेकर चले आते है । इस रूट चार्ट के आधार पर आप बाबा मंदिर आ सकेंगे। श्रद्धालु के वाहनों के लिए तय रूट में अनुमंडल प्रशासन कि ओर से हर वर्ष वाहन पारकिंग की भी व्यवस्था की जाती है।