गया – गया कॉलेज गया के मुंशी प्रेमचंद्र सभागार में जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में ६९ वें वन महोत्सव का आयोजन किया गया है सर्वप्रथम जिलाधिकारी को पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत किया गया है उसके उपरांत जिलाधिकारी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया और इस अवसर पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वन महोत्सव जुलाई-अगस्त माह में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है वन महोत्सव वास्तव में पेड़ों का त्योहार हैयह त्योहार हमारे जीवन में एक उत्सव की तरह हैवन महोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री डॉ0 के0 एम0 मुंशी के द्वारा १९५०में दिल्ली में वनरोपण करके प्रारंभ किया गया था इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रखा गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक कम से कम एक पौधा लगाकर इसकी सुरक्षा कर इसे वृक्ष बनाएं है डॉ0 के एम मुंशी के द्वारा वन महोत्सव मनाने की शुरुआत करना तथा इसे जन जन का वनरोपण से जोड़ने का सोच एक अद्भुत एवं विलक्षण सोच थी और उन्हें आभाष था कि देश की आजादी के बाद देश के विकास हेतु बड़ी संख्या में वनों-जंगलों को काटकर खेती,उद्योग आदि का विकास किया जाएगा एवम जिससे वनों की क्षति होगी एवं इसकी पर्यावरणिक कुप्रभाव देश की भू भाग एवं आम जनता पर पड़ेगी और वन महोत्सव को मूर्त रुप देने के लिए वर्ष १९४७ में डॉ0 के एम मुंशी के द्वारा दिल्ली में बड़े पैमाने पर निरूपण का कार्य प्रारंभ किया गया एवं इस कार्यक्रम में पंडित जवाहरलाल नेहरु,लाल बहादुर शास्त्री एवं स्थानीय जनता ने बढ़-चढ़कर वनरोपण में हिस्सा लिया है इसके पश्चात वनरोपण के इस कार्यक्रम को पूरे देश में आंदोलन के रूप में विस्तृत करने के उद्देश्य से वन महोत्सव के कार्यक्रम को वर्ष १९५० में पूरे देश में मनाने का निर्णय लिया गया है के एम मुंशी के इस कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न राज्यों में लाखों वृक्ष लगाए जाते हैं बिहार की जनता इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है वन विभाग के द्वारा वन रोपण हेतु निशुल्क पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं यह सर्वविदित है कि देश का ३३% भूभाग पारिस्थितिकीय संतुलन एवं संतुलित पर्यावरण के लिए वृक्षों एवं वनों से आच्छादित रहना चाहिए और वन महोत्सव के तहत पूरे देश में प्रतिवर्ष लाखों वृक्ष लगाए जाते रहे हैं यही कारण है कि हमारे देश भारत वर्ष में पारिस्थितिकी असंतुलन, पर्यावरण एवं प्रदूषण की समस्या कभी भी अतिरिक्त नहीं हुई जितना कि अमेरिका,यूरोप, चीन,जापान तथा अन्य विकसित देशों में हुई है इन देशों में पर्यावरण संकट के कारण पर्यावरण आंदोलन,पृथ्वी दिवस २२ अप्रैल,विश्व पर्यावरण दिवस ५ जून आदि प्रारंभ हुए एवं आम लोगों को इन कार्यक्रमों से जोड़कर पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण,पारिस्थितिकी असंतुलन से संबंधित कार्यों हेतु जागृत किया गयाहै इस कड़ी में वर्ष १९९२ में रियो डी जिनरियो में पहला अर्थ समिट संपन्न हुआ है इसके पश्चात सतत विकास का लक्ष्य संपूर्ण विश्व में के सामने आया। जिस पर पूरे विश्व में कार्य हो रहा है और हमारे देश का २३.८% भाग वनों,वृक्षों से आच्छादित है तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार ने वर्ष २०२०तक वनों वृक्षों के अच्छादन को ३३% तक करने का लक्ष्य रखा है ताकि पारिस्थितिकीय संतुलन और भी संतुलित हो सके और इस कार्यक्रम के तहत वर्ष २०१५ में असम सरकार ने २५ लाख पेड़ लगाने की घोषणा की है उन की अवधारणा थी कि इतनी संख्या में वृक्षों के लगाने से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ असम की जनता के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में भी उन्नति होगी क्योंकि असम में ७० % जनता की आजीविका कृषि पर आधारित है यह वन महोत्सव की यह एक बड़ी उपलब्धियों में एक है
वन महोत्सव कार्यक्रम में आम जनता के बीच वृक्ष लगाने के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन हेतु भी जागृतरिपोर्ट किया जाता है तथा आम जनता को उनके जीवन में वृक्षों की विभिन्न उपयोगिता एवं उनके प्रभावों के बारे में बताया जाता है वन महोत्सव में आम लोगों के द्वारा बड़ी संख्या में पौधों के रोपण से विभिन्न लक्ष्यों की पूर्ति स्वतः हो जाती है वनरोपण से देश में प्रकाश के स्रोत बढ़ते हैं फल फूलों के स्रोतों में वृद्धि होती है मवेशियों हेतु खाद्य सामग्री की व्यवस्था,जलावन की उपलब्धता,खेती योग्य भूमि के चारों ओर वृक्ष के शेल्टर बेल्ट का विकास अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि का नियंत्रण,मृदा संरक्षण पर रोक,प्रदूषण नियंत्रण ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण आदि अनेक प्रकार के लक्ष्य प्राप्त हो जाते हैं वन महोत्सव के कार्यक्रम में लोगों को वनों के काटने से होने वाली हानि से लोगों को अवगत कराया जाता है इस कार्यक्रम से लोग वनरोपण,वृक्ष की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण,प्रदूषण नियंत्रण के प्रति स्वतः प्रेरित हो जाते हैं वन महोत्सव के कार्यक्रम से जुड़कर लोग वृक्षों के द्वारा किए जानेवाले पारिस्थितिकीय एवं पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझने लगते हैं वृक्षों के द्वारा जीवनदायिनी ऑक्सीजन उत्पन्न की जाती है और साथ ही वृक्षों से वायु की गुणवत्ता में वृद्धि मौसम में मधुर बदलाव,जल का संरक्षण,मृदा का संरक्षण,वन्य जीव को भोजन एवं सरल उपलब्ध कराई जाए आती है और वृक्षों की क्षमताओं से लोग स्वतः अवगत होने लगते हैं वृक्षों को लगाने उनकी सुरक्षा एवं संवर्धन के कार्य में आम जनता स्वेच्छा पूर्वक अपनी भागीदारी को निभाती है एवं प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में छात्र आम जनता इस कार्यक्रम से जुड़ते जाते हैं वन महोत्सव का निरीक्षण एवं प्राकृतिक से जोड़ती है जो कि वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ी के लिए शुभ संदेश है।
हमारे बिहार राज्य हेतु वन महोत्सव की प्रसांगिकता काफी बड़ी है हमारे देश में वनों का क्षेत्रफल, राष्ट्रीय क्षेत्रफल का २३.८% है जबकि बिहार राज्य में वनाच्छादन एवं वृक्षादन राज्य के क्षेत्रफल का मात्र ९.७९% है अतः बिहार राज्य में वनावरण के वर्तमान ९.७९ % क्षेत्र को बढ़ाकर वर्ष २०१२से २०१७ के बीच 15%वर्ष २०१७ से २०२२के बीच क्षेत्रफल को २०% करने का लक्ष्य रखा गया है इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु हरियाली मिशन के कार्यक्रम के तहत बड़े पैमाने पर वन एवं गैर वन क्षेत्रों में पौधे लगाने का कार्यक्रम जारी है इस कार्यक्रम में जनता की सहभागिता से अभी तक करीब १९ करोड़ पौधे का रोपण किया गया है तथा वर्ष २०१७ के अनावरण के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है माननीय उप मुख्यमंत्री पर्यावरण एवं वन विभाग के द्वारा वर्षा ऋतु में एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है इस वृहद रूप से वन विभाग के द्वारा वन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है एवं आम जनता की सहभागिता से एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है गया वन प्रमंडल के द्वारा वर्षा ऋतु में १लाख ६२ हजार पौधे तथा कृषि वानिकी योजना के तहत १ लाख ६० हजार एवं ‘हर परिसर हरा परिसर’ कार्यक्रम के तहत ३१ हजार पौधे अर्थात कुल ३ लाख ५३ हजार पौधे लगाने का लक्ष्य हैराज्य की आम जनता,विद्यार्थी,शिक्षक, किसानों आदि की सहभागिता से अगले ५ वर्षों में वनों को २०% के क्षेत्रफल के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है हमारी सरकार बिहार राज्य में वन अच्छादन एवं वृक्ष अच्छादन के क्षेत्र को बढ़ाने हेतु कृतसंकल्प है और अतः वनरोपण वनों का संरक्षण संवर्धन करने हेतु जन जागरूकता से संबंधित कई कार्यक्रम पर्यावरण एवं वन विभाग द्वारा चलाए जा रहे हैं वन महोत्सव २०१८ उसी कड़ी का एक अंश हैबिहार एवं बिहार की जनता के हित में वन महोत्सव से जुड़कर इसका प्रचार प्रसार करते हुए अपने राज्य के नागरिकों को रोपण वृक्षों की सुरक्षा हेतु प्रेरित करना एक पवित्र कर्तव्य है और इस कार्यक्रम में शामिल होकर हमें इस में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना है इसके उपरांत जिलाधिकारी ने गया कॉलेज परिसर में वृक्षारोपण किया हैजिलाधिकारी ने सभी लोगों से अपने जन्मदिवस पर कम से कम ५ पौधे लगाने का आग्रह किया आज।रिपोर्ट – धीरज गुप्ता updated gaurav gupta

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