मऊरानीपुर (झाँसी) – मधुपुरी साहित्यिक एवं सामाजिक परिषद मऊरानीपुर की एक मासिक कवि गोष्ठी पं. मोतीलाल सुल्लेरे की पुण्य तिथि पर कवि सुल्लेरे जी के आवास पर मऊरानीपुर में सम्पन्न हुयी। जिसमें कवियों ने अपनी- अपनी कविताओं के चलते जोरदार शमाँ बाँधा और लोगों का मनमुग्ध किया। इसी के चलते कवियों में अवध बिहारी सूरौठिया ने कहा कि मन भावन पाप नसावन तुलसी की रामकथा। देती भाग्य फल बता। मदन कान्त व्यास ने कहा कि सत्य सदा सत्य है, इस पर ना आँच आना है। व्यर्थ में ही माया बस, भूला फिरता जमाना है। मनोज भूषण ने कहा कि मुझे सजने सँवरने का बडा शौक था। हमने बदले है शौक से कपडे रोज, आखिरी दिन मुझे कपडे भी पहनना न आया। शिक्षक वृन्दावन लाल वर्मा ने कहा कि सीमा पै आतंकी परेशानी तुमाई सबकी जानी। एकई बेर में ठियो मिटा दो, तुमका का हैरानी। सुरेश चौधरी ने कहा कि चाँद से उतरती ये चाँदनी तो दिखती है। चाँद पे लगा हुआ कलंक नही दिखता है। राजकुमार ताम्रकार ने कहा कि जहागीर सा न्याय जो बाँटें कही अदालत खुली नही है। रेवाश्ांकर पाठक ने कहा कि उत्तम जिझौतिया कुल में जन्म राहुल जी । महेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि खुशी के फूल उन्ही के दिलों में खिलते है। जो आदमी की तरह , आदमी से मिलते है। प्यारे लाल बेधडक ने कहा कि ग्यारा नौम्बर राहुल ओझल। नौ दो ग्यारा हो गये। बेधडक प्यारे श्रद्वा सुमनी। अर्पित ग्यारा हो गये। हदय नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि हम लोकल कवि शोशल इतने गरदन पकर दवालो। घर की मुर्गी दाल बराबर, जब जी चाय पकालो। बृजेश कुमार सोनी ने कहा कि बहरु पिया फल फूल रये है कल युग भगवान। तेरे हाथ कमान है तू है कुशल किसान। ज्ञान प्रकाश यादव ने कहा कि खडे द्वार दद्दा कैरये, सुन लो बेटा लल्लू। देश विदेशन में चल रयो है देखो उल्टा पल्लू। रामकुमार चौबे ने कहा कि अपने पाँव खडे वे होते, लगता प्रभु है अपने पास। प्रभु के भजन में लीन भयो मन, रहा न कोई अब खास। इसी के चलते अन्य कवियों में जयप्रकाश खरे, संदीप गुप्त चाँद, बृजेन्द्र पटैरिया, अरविन्द्र भडैरिया आदि कवियो ंने भी कवितायें सुनायी। इसी के चलते श्रोतागणों में भगवान दास ताम्रकार, रवि सुल्लेरे, मनीष सुल्लेरे, धर्मेन्द्र सुल्लेरे, दीपू अग्रवाल, खेमचन्द्र शर्मा, हीरा लाल वर्मा आदि लोग उपस्थित रहे। रिपोर्ट_सौरभ भार्गव अनुभवी आँखें न्यूज मऊरानीपुरupdated by gaurav gupta

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