राखी मतलब भाई बहन का त्योहार। राखी यानी भाई बहन के प्रेम का पर्व। भाई द्वारा बहन की रक्षा का विश्वास। ✍सर्वप्रथम किसने बांधी राखी किस को और क्यों ??
धन की देवी लक्ष्मी जी ने सर्वप्रथम बलि को बांधी थी।ये बात हैं तब की__जब दानबेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहें थे। तब नारायण ने राजाबलि को छलने के लिये वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया। तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दें दिया।

फलतः प्रभु से कहा की कोई बात नहीँ मैं रहने के लिये तैयार हूँ
पर मेरी भी एक शर्त होगी। भगवान अपने भक्तो की बात कभी टाल नहीँ सकते हैं। उन्होने कहा ऐसे नहीँ प्रभु आप छलिया हो पहले मुझे वचन दें की जो मांगूँगा वो आप दोगे नारायण ने कहा दूँगा दूँगा दूँगा_
_जब त्रिबाचा करा लिया तब बोले बलि_

_की मैं जब सोने जाऊँ तो जब उठूं तो जिधर भी नजर जाये उधर आपको ही देखूं_।
_नारायण ने अपना माथा ठोका और बोले इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया_हैं ये सबकुछ हार के भी जीत गया है।
_पर कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे। इसतरह काफी समय बीत गया।

उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी। नारायण आखिर गए तो गए कहां। उधर नारद जी का आना हुआ_

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_लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीँ देखा आपने।
फलतःनारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि की पहरेदार बने हुये हैं।
_इतना सुन लक्ष्मी जी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाये की कैसे मिलेंगे वे। तब नारद ने कहा आप राजा बलि को भाई बना लो और रक्षा का वचन लो और पहले तिर्बाचा करा लेना दक्षिणा में जो मांगूगी वो देंगे।
और फिर दक्षिणा में अपने नारायण को माँग लेना। इतना सुन लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुये बली के पास पहुँची।
_बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप_तब लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीँ हैं इसलिए मैं दुखी हूं।
_राजा बलि बोले की तुम मेरी धरम की बहिन बन जाओ।
_तब लक्ष्मी ने तिर्बाचा कराया_
_और बोली मुझे उपहार स्वरूप आपका ये पहरेदार चाहिये_।
_जब_ये माँगा_तो बलि पीटने लगे अपना माथा_और सोचा_
_धन्य हो माता पति आयेतो मेरा सब कुछ लें गये और ये महारानी ऐसी आयीं की उन्हे भी लें गयीं_। और इस तरह से ये “रक्षाबंधन का पर्व” शुरू हो गया।
_और इसी लिये अब कलावा बाँधते समय मंत्र बोला जाता हैं_

_*येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल:*_ये मंत्र हैं_
_रक्षा बन्धन अर्थात वह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे_
_सुरक्षा किस से_
_हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से।_
strongःअनुभवी आंखें न्यूज ब्यूरो, दिल्ली। ताजातरीन खबरों के लिए प्ले स्टोर से इंस्टाल करे एप्प अनुभवी आंखें न्यूज ।

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