शक्तिमान शिवजी की उपासना कर मनाएँमहाशिवरात्रि’ 

—1008 पवित्र तीर्थों के जल से किया जाएगा अभिषेक

—कृष्ण कीर्तन से प्रसन्न होते हैं परम वैष्णव शिव-शंभू

दिल्ली – आम जीवन में अनेक इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोग करुणावतार शिवजी का व्रत करते हैं, पूजा-पाठ, व्रत और अनेक स्तुतियाँ गान कर भोले बाबा को प्रसन्न करते हैं। लेकिन वास्तव में स्वयं शिवजी सबसे ज्यादा उनसे प्रसन्न होते हैं, जो भगवान विष्णु के भक्त हैं। जी हाँ, वे पहले उन्हें पसंद करते हैं और प्रेम करते हैं, जो कृष्ण भक्ति से जुड़े हैं। उनकी इसी बात को ध्यान में रखते हुए 8 मार्च को श्री श्री रुक्मिणीद्वारकाधीश मंदिर, इस्कॉन द्वारका सेक्टर-13 में महाशिवरात्रि उत्सव आयोजित किया जा रहा है।

शुक्रवार को प्रातः 10 बजे से ही यहाँ 1008 पवित्र तीर्थों के सम्मिलित जल से श्री श्री गौर निताई का अभिषेक किया जाएगा, जो विशेष तौर से श्री चैतन्य महाप्रभु की नगरी मायापुर धाम से मँगाया गया है। जलाभिषेक के पश्चात पुष्प अभिषेक भी किया जाएगा। अंत में प्रसाद वितरण किया जाएगा और पूरे दिन ठंडाई की व्यवस्था की गई है।

मंदिर प्रबंधन का कहना है कि भक्तगण चाहें तो उनके लिए यह पवित्र जल पैकिंग में भी उपलब्ध रहेगा, जिसे वे शिव मंदिर में शिवलिंग पर अर्पित करने के लिए ले जा सकते हैं। अपने भक्तों के बारे में शिवजी स्वयं कहते भी हैं कि–

भगवन्तं वासुदेवं प्रपन्नः स प्रियो हि मे…

निश्चित ही जो भक्त भगवान वासुदेव, राम और कृष्ण के शरणागत हैं, वही मुझे सबसे अधिक प्रिय हैं। मैं उनसे बहुत प्रेम करता हूँ, जो भगवान कृष्ण की भक्ति करते हैं। अतः कृष्ण भक्ति प्राप्त करने और प्रगति के लिए भी महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है ताकि परम वैष्णव की कृपा से शीघ्रता के साथ यह सुलभ हो।

अतः कृष्ण भक्तों के लिए परम वैष्णव शिवजी की कृपा पाने का यह सुअवसर है कि इस्कॉन मंदिर में आकर वह परम वैष्णव भोले बाबा की अपार कृपा प्राप्त करें।

श्रीमद्भागवतम् के द्वादश स्कंध के तेरहवें अध्याय में इसका उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव वैष्णवों में श्रेष्ठ हैं। उनसे बड़ा कोई वैष्णव नहीं हैः

निम्नगानां यथा गंगा देवानामच्युतो यथा

वैष्णवानां यथा शम्भुः पुराणानामिदं तथा। (श्रीमद्भागवतम्- 12.13.16) 

जैसे नदियों में श्रेष्ठ माँ गंगा है, सभी देवताओं में श्रेष्ठ भगवान विष्णु हैं, सभी पुराणों में श्रेष्ठ श्रीमद्भागवतम् है, उसी तरह सभी लाखों-करोड़ों वैष्णवों में श्रेष्ठ भगवान शिव (शंभु) हैं।

भगवान शिव से बड़ा कोई वैष्णव नहीं है। उनमें वैष्णवों के सभी 26 गुण हैं।

शि‌व की आराधना का अर्थ है, सभी मानव-जीवों को बराबर समझना, प्रेम करना और आपस में भेदभाव न करना। अगर मन में किसी दूसरे के प्रति घृणा का भाव है, तो शिव की पूजा-आराधना बेकार है। भगवान शिव की आराधना का अर्थ यह भी है कि तामसिक खाद्य पदार्थों जैसे– माँस, मछली और नशे के सेवन से दूर रहना। शिव पुराण में कहीं भी नशे के पक्ष में उल्लेख नहीं मिलता। इसके 24 हजार श्लोकों में कहीं भी गांजा-भांग पीने-खाने की बात नहीं आती। इसलिए सदैव नशे से दूर रहें।

अतः आप कृष्ण कीर्तन करते हैं तो शिवजी आपसे बहुत प्रसन्न होते हैं। आप इस्कॉन मंदिर में आइए, महाशिवरात्रि मनाएँ।

updated by gaurav gupta 

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