भक्ति गीतों के लिए पहचाने जाने वाले गायक अनूप जलोटा बचपन से ही भजन गा रहे हैं. उनका मानना है कि भजन को लेकर लोगों के बीच गलत धारणा है. लोग समझते हैं कि भजन बुजुर्गो के लिए है, लेकिन जलोटा ने ‘निर्गुण भजन’ नामक अपना पहला अल्बम 14 वर्ष की उम्र में रिलीज किया था. उन्होंने बताया, “मैं बचपन से भजन गा रहा हूं और इसके साथ बड़ा हुआ हूं.”
उन्होंने कहा, “मैंने भजन से नाम, प्रसिद्धि, पैसा, सम्मान और प्यार कमाया है. अपनी सफलता की कहानी के पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि लोगों में भजन को लेकर गलत धारणा है. पूजा करते हुए हम भगवान को ताजे फल-फूल चढ़ाते हैं. पूजा करते हुए भजन गाने से एकाग्रता और आध्यात्मिकता बनी रहती है.”
अनूप ‘ऐसी लागी लगन’, ‘मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो’ और ‘जग में सुंदर हैं दो नाम’ जैसे 3,000 से अधिक गीत और भजन गा चुके हैं.
उन्हें गाते हुए 55 साल हो गए हैं, लेकिन उनका मानना है कि वह अब भी गायन में पारंगत नहीं हुए हैं.
जलोटा ने कहा, “मैं अब भी सीख रहा हूं. मुझे लगता है कि जो कुछ सीखें, पूरे तरीके से सीखना चाहिए. सीखने के लिए इतनी चीजें हैं कि इसके लिए यह जीवन कम पड़ता लगता. हमें हर दिन कुछ नया सीखना चाहिए.”