मथुरा: द्वापर युग में 5243 वर्ष पूर्व देवकी-वसुदेव के पुत्र रूप में ब्रज में अवतरित होने वाले कृष्ण ने मंगलवार को भाद्रपद मास की मध्य रात्रि एक बार फिर जन्म लिया. रात्रि 12 बजते ही मंदिरों में घंटे-घड़ियाल बजने लगे. लोगों ने अपने घरों में भी ठाकुर के जन्म पर पंचामृत से अभिषेक कर एक-दूसरे को बधाइयां दीं. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थानपर भागवत भवन में होने वाला प्रथम जन्म महाभिषेक 51 किलो चांदी से निर्मित गाय के थनों से निकलते दूध से किया गया. तत्पश्चात, घी-दही-बूरा-शहद आदि से तैयार किए गए पंचामृत से अभिषेक किया गया.

इसी प्रकार ठा. द्वारिकाधीश, वृन्दावन के ठा. बांकेबिहारी मंदिर आदि सभी मंदिरों में अभिषेक किया गया. इस मौके पर जन्मस्थान पर यह स्थिति थी कि ठाकुर जन्म के विशेष दर्शन पाने के लिए सुबह से कतार बांधे खड़े भक्तगण अधीर हो उठे.

मंदिर के पट खुलते ही ‘नंद के आनंद भए, जय कन्हैयालाल की’ का शोर गूंजने लगा. इसके बाद रात्रि डेढ़ बजे तक जन्मस्थान पर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा.

अब दिन में श्रद्धालुओं का प्रवाह गोकुल और महावन की ओर हो जाएगा. सुबह से ब्रज के तकरीबन सभी मंदिरों में नन्दोत्सव मनाया जाएगा. इस प्रकार के आयोजनों में नन्दबाबा बने महोत्सव के यजमानों द्वारा खेल-खिलौने और मिठाइयां बांटी जाएंगी.

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