जानकीनगर ( पूर्णिया) – जानकीनगर थाना क्षेत्र के चोपड़ा बाजार,रामपुर तिलक ,रामनगर फरसाही, रुपौली दक्षिण रुपौली उत्तर लादूगढ़ पंचायत के साथ-साथ आदि गांव मैं बकरीद यानी ईद-उल-अजहा की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से अदा की गई और इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने देश और समाज में अमन और चैन की दुआ मांगी और लोगों से आह्वान किया कि आपस में भाईचारा और सौहार्द बनाए रखें साथ ही मुस्लिम समुदाय के आमिर खान, मोहम्मद सत्तार ,मोहम्मद सैयद, मोहम्मद जुबेर आदि लोगों ने आपस में गले मिलकर ईद उल जुहा की मुबारकबाद दिया l ईद-उल-जुहा की खुशी में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बकरे की कुर्बानी देता हैl ईद-उल-जुहा अदा करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता हैl इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा हैl इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता हैl इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैंl इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैंl ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैंl “बकरीद क्यों मनाई जाती है?” इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्व हैl इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थेl तब अल्लाह ने उनके नेक जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दियाl यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता हैl इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गयाl “क्यों दी जाती है कुर्बानी?” हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थीl जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्दा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है। रिपोर्ट लालमोहन आनंद, updated by gaurav gupta