—कोविड के बाद भी निस्सहाय व जरूरतमंद लोगों को मिल रहा है पर्याप्त खाना
—दिल्ली व आसपास के अब तक 5 करोड़ लोगों को खाना खिलाया
—सहयोग के लिए समाज के कुछ उद्योगपतियों का आभार
—भविष्य में आगे भी जारी रहेगा भोजन वितरण का यह सिलसिला
प्रकृति के आक्रोश की चुभन बीते सालों की अपेक्षा अब कम हुई है। लोगों ने खौफ़ के साए से बाहर चैन की साँस ली है। दुख, तकलीफ, आँसू, पीड़ा और उदासी से लोग उभरे हैं। रोजगार के दरवाजे खुले हैं और व्यवसाय ने भी गति पकड़ी है लेकिन फिर कुछ बेसहारा लोग ऐसे हैं जो अपने लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए भी असमर्थ हैं। ऐसे में इस्कॉन द्वारका ने कोविड की लहर थमने के बाद भी इन लोगों की उम्मीद को थामे रखा है। उनकी भूख को सताने नहीं दिया है। उद्योग जगत से जुड़े समाज के कुछ प्रसिद्ध व्यवसायियों के सहयोग से ‘फूड फॉर लाइफ’ अभियान को कोविड के कहर में और उसके बाद भी जारी रखा है।
फूड फॉर लाइफ अभियान के मुख्य प्रबंधक अर्चित प्रभु का कहना है, “रोटी यानी पेट भरना हर व्यक्ति की मुख्य आवश्यकता है। कोई इसे अपने श्रम से पाता है और कोई किसी के आश्रय से पर यह हर किसी की जरूरत है। समाज के जरूरतमंद लोगों की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए हमने मार्च 2019 में कोविड की प्रथम लहर से लोगों तक खाना पहुँचाने का अभियान शुरू किया था। पहले लॉकडाउन के दौरान पाँच लाख से भी ज्यादा लोगों को प्रतिदिन खाना खिलाया था। दूसरे लॉकडाउन में कोरोना मरीज़ों के लिए 40 हज़ार थालियाँ प्रतिदिन भेजी जाती थीं और 200 बिस्तरों का एक कोविड केयर सेंटर भी बनाया गया था। इसी कार्यक्रम में श्रवण कुमार सेवा के अंतर्गत बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं व कोरोना पीड़ितों को उनके घर तक भोजन पहुँचाया गया। यही नहीं कोरोना की तीसरी लहर में भी जरूरतमंद लोगों ने इस्कॉन द्वारका की हेल्पलाइन पर खाने की माँग की और उन्हें खाने की थालियाँ उपलब्ध कराई गईं। उसके बाद साल दर साल यह क्रम यूँ ही चलता रहा। हमें खुशी है कि श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश की कृपा से आज कोविड की लहर थमने के बाद भी लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं। समाज के सचेत लोग भी इस अभियान में अपना सहयोग कर रहे हैं। इनमें अदानी समूह, जिंदल पोली व केईआई का नाम शामिल है। निश्चित रूप से उनका यह प्रयास प्रशंसनीय है।”
इस्कॉन द्वारका के अध्यक्ष प्रद्युमन प्रिय प्रभुजी का कहना है कि समय चक्र के अनुसार प्राकृतिक आपदाएँ अपना कहर दिखाती हैं और ऐसे में हम सब यानी व्यक्ति, समाज और सरकार को मिलकर ही भीषण संकट से बाहर आना होता है। पिछले तीन सालों तक कोविड ने भी अपना दुष्प्रभाव दिखाया लेकिन इस महामारी में भी इस्कॉन मंदिर की ओर से निस्सहाय व जरूरतमंद लोगों तक प्रतिदिन पर्याप्त पोषणयुक्त मंदिर में बना खाना अर्थात भगवान का दिव्य प्रसादम पहुँचाया। यही नहीं कोविड की लहर तो पिछले वर्ष 2022 में लगभग पूर्ण रूप से थम गई पर हमारी ओर से भोजन वितरण का सिलसिला तब से अब तक निरंतर जारी है। इस्कॉन जीबीसी और बीबीटी ट्रस्टी श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज की प्रेरणा से मानव कल्याण के लिए हम इस सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस्कॉन के संस्थापक ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद का भी यही ध्येय था कि प्रत्येक इस्कॉन के दस किलोमीटर तक के दायरे में कोई भूखा न रहे। हमारा भी यही प्रयास है कि सामाजिक सहयोग से भविष्य में भी जरूरतमंदों तक खाना पहुँचाने की सेवा का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे।
updated by gaurav gupta