मधेपुरा/मुरलीगंज (संवाददाता चंचल कुमार)

सड़कों की बेरिकेटिंग का प्रदर्शन।

*आखिर व्यक्ति की कैसी यह सुरक्षा ,प्रकृति के सुंदरता वृक्षों को काटकर बैरियर बनाकर मार्ग को अवरुद्ध कर आपातकालीन सेवाओं की आवागमन को बाधित करना। क्या हम अपने आप को ठग नहीं रहे हैं ?*

कोरोना की इस वैश्विक महामारी में स्वयं को सामाजिक रूप से काफी सजग होने का दिखावा करने के चक्कर कुछ लोगों के द्वारा अपने-अपने मुहल्ले की सड़कों पर बांस-लकड़ी आदि से धड़ल्ले से बेरिकेटिंग कर मार्ग को अवरुद्ध करने का चलन बढ़ गया है,जो अतिशयोक्तिपूर्ण है।इस प्रकार के आचरण से आप स्वयं अपने समाज की आकस्मिक परेशानी बढा रहे हैं।लॉकडाउन में आपको अपने दरवाजे के अंदर रहना है , बेरिकेटिंग स्वयं अपना या अपने घर का करें ना कि आम रास्ते का। भगवान ना करे कहीं इस परिस्थिति में आप या आपके परिवार को मेडिकल सहायता की आवश्यकता पड़ जाय और आपके घर तक एम्बुलेंस समय से ना पहुँच पाये तो अफसोस होगा। प्रशासनिक नियंत्रण भी प्रभावित होगा, जो चिंता जनक है।वर्तमान समय में कहाँ बेरिकेटिंग करना है और किस हद तक करना है , इसके लिए स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक विभाग को सरकार स्तर से निदेशित है,उन्हें अपना काम करने दें और हमलोग अपने को घर के अंदर रखकर उन्हें सहयोग करें। सच तो ये है हम स्वयं लॉकडाउन का उल्लंघन करते हैं और घर में घुसने को पुलिस का इंतजार करते हैं;यही कटु सत्य है।सभी प्रबुद्ध अगर जिम्मेदारी के साथ अपने गाँव-मुहल्ले के लोगों को कोरोना महामारी , लॉकडाउन आदि तथा इससे बचाव के प्रति जागरूक करें तो ज्यादा असरदार साबित होगा।इधर बिहारीगंज में कोरोना पॉजिटिव मिलने पर कल से मुरलीगंज एवं इसके आस-पास के गाँव-पंचायतों में इस प्रकार की बेरिकेटिंग का चलन देखादेखी बढ़ गई और सोशल मिडिया पर जबरदस्त ढंग से ट्रेंड करने लगा ।
ऐसे सभी महानुभाव से अनुरोध है कि कोरोना और लॉकडाउन के प्रति अपने अगले-बगल के लोगों को सजग व जागरूक करें…स्वयं सपरिवार घर में रहें और पड़ोसियों को भी घर में रहने को प्रेरित करें..वास्तव में यही बेरिकेटिंग है… आज की परिस्थिति में दिखावे का ना कोई अर्थ रह गया है और ना कोई महत्व…बस अपने अपने मूल दायित्व का निर्वहन करें…परस्पर सहयोग करें…और सुरक्षित रहकर देश को इससे लड़ने और बचाने में अपना योगदान दें।
सामाजिक कार्यकर्ता – गुरुजी, updated by gaurav gupta

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