छातापुर(सुपौल) – छातापुर थानाक्षेत्र से तीन महीने पहले हुए एक नाबालिग छात्रा के अपहरण मामले में पुलिस की कर्तव्यहिनता सामने आ रही है।जानकारी अनुसार 19 अप्रैल को अपहृता की बरामदगी होने के बावजूद पुलिस के द्वारा अब तक उसका मेडिकल जांच तक नहीं कराया जा सका है। इतना ही नही न्यायालय में 164 के बयान करवाने हेतु नही भेजा गया है। जबकि अपहृता की बरामदगी के नौ दिन गुजरने को हैं। मालूम हो कि अपहरण के मामले में अपहृता की बरामदगी के साथ ही उसका स्वास्थ्य जांच एवं 164 का बयान दर्ज कराना आवश्यक होता है। नाबालिग रहने के कारण अपहृता को न्यायिक अभिरक्षा में अल्पावास गृह में रखा जाना था।
जिसके तहत न्यायालय द्वारा मामले में आगे की कार्यवाही की जा सके। लेकिन थानाध्यक्ष सभी कायदों को ताक पर रखकर कार्य कर रही है। सीधा तौर छातापुर थाना पुलिस का इस थाने में अपना राज चलता है। बताया जाता है कि पुलिस ने अपहृता को पुलिस अभिरक्षा में रखने के बजाय किसी जिम्मानामा के बिना ही अपहृता को उसके परिजनों के हवाले कर दिया है। लोगों की मानें तो पुलिस की यह लापरवाही अपहृता के जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसी है। जो स्पष्ट रूप से न्यायालय का अवमानना का मामला भी बनता है। पुलिस के इस रवैये से मामले के आरोपी युवक के परिजनों ने चिंता जाहिर की है। कहा है कि अपहृता के उसके परिजन यदि किसी प्रकार की घटना कर देते हैं। इसके बाद उनलोगों केई परेशानी बढ़ सकती है। एएसपी को भी इस चिंताओं से अवगत कराया गया है।लेकिन उन्होंने भी इसकी सुधि अब तक नहीं ली है। उधर, इस मामले में जब थानाध्यक्ष राघव शरण से पूछा गया तो उनका जबाब कानुन को ठेंगा दिखाने वाला था।उन्होंने कहा कि मेडिकल चेकअप और 164 के बयान दर्ज करवाने से वह इत्तेफाक नहीं रखते है। दरअसल चुन्नी वार्ड संख्या 11 निवासी 14 वर्षिया अपहृता के परिजनों द्वारा केस भी पिछले सप्ताह ही कराया गया था। जिसमें अपहरण मामलें में सोनू सिंह को आरोपित बनाया गया है। लेकिन अब तक वह पुलिस के पकड़ से दूर है।
रिपोर्ट – संजय कुमार भगत, updated by gaurav gupta
अपहृता के बरामदगी के बाबजूद कोर्ट में नही किया गया पुलिस द्वारा पेश, बल्कि वैसे सौप दिया गया परिजनों को।
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