ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या के विफल प्रयास के मामले में प्रतिबंधित संगठन हरकतुल जेहाद-ए-इस्लामी बांग्लादेश (हूजी) के 10 आतंकियों को मौत और नौ अन्य को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई है. इन लोगों ने साल 2000 में गोपालगंज में हसीना के पुश्तैनी गांव के एक मैदान में अति-शक्तिशाली विस्फोटक डिवाइस का इस्तेमाल कर हसीना की हत्या की साजिश रची थी. हसीना वहां एक जनसभा को संबोधित करने वाली थीं.

आतंकियों ने हसीना की हत्या के प्रयास के तहत 76 किलोग्राम के बम प्लांट किए थे. सुरक्षा अधिकारियों ने जनसभा से पहले बम का पता लगा लिया और इस साजिश को विफल कर दिया. जांच के बाद पता चला कि हूजी का सरगना मुफ्ती हन्नान इस साजिश का मास्टरमाइंड है. हन्नान को बांग्लादेशी मूल के तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायुक्त की हत्या के प्रयास के मामले में इस साल की शुरुआत में फांसी दे दी गई थी.

विशेषाधिकार कानून के मामले में 25 संदिग्धों को आरोपी बनाया गया. इनमें से नौ को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई गई और 20-20 हजार टका का जुर्माना लगाया गया. चार लोगों को बरी कर दिया गया. जज ने कहा, ‘हाईकोर्ट की अनुमति से इन लोगों को फांसी देकर या फिर गोली मारकर मौत की सजा दी जाएगी.’ इनमें से सिर्फ आठ लोगों के जेल में रहते हुए उनके खिलाफ सुनवाई की गई, जबकि शेष लोगों की गैर-मौजूदगी में सुनवाई हुई. बांग्लादेश के कानून के तहत मौत की सजा के तामील के लिए हाईकोर्ट की अनुमति लेनी होती है. दोषी अपील कर सकते हैं.

यह फैसला ऐसे वक्त में आया है, जब ढाका की एक अदालत 2004 में हसीना की हत्या के प्रयास के एक और मामले की सुनवाई लगभग पूरी कर चुकी है. इस साजिश के समय अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना विपक्ष की नेता थीं. माना जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली तत्कालीन सत्तारूढ़ बीएनपी के एक प्रभावशाली समूह ने हूजी के साथ मिलकर हसीना की हत्या की साजिश रची. इस हमले में हसीना बाल-बाल बच गई थीं, हालांकि उनके कान में चोट आई थी. बीएनपी के नेता और खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है और उनकी अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है.

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