आया नगर : जिस देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है | वहां आखिर क्यों फिर एक बेटी को पढाई से वंचित कर दिया जाता है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे का खुले आम मज़ाक उड़ाया जा रहा है | सर्वोदय कन्या विद्यालय में पढ़ने वाली १७ वर्षीय रूबी को स्कूल वालो ने पढ़ाने से इंकार कर दिया है | स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि रूबी कि उम्र आठवीं कक्षा के हिसाब से ज़्यादा है जिस वजह से वो उसे स्कूल में नहीं पढ़ा सकते | उन्होंने आगे बताया कि रूबी का आधार कार्ड भी नहीं है परन्तु उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा की रूबी को ना पढ़ाने की वजह उसकी उम्र ही है |
रूबी ने बताया कि उसकी घर की समस्यांओ के कारण वो अप्रैल में स्कूल नहीं जा पाई थी और जब उसने जुलाई में स्कूल जाना शुरू किया तो स्कूल वालो ने उसके आधार कार्ड ना होने का हवाला देकर उसे मना कर दिया परन्तु जब उसने आधार कार्ड की स्लिप भी जमा करवादी तो उसके बाद आधार नंबर ना होने और उसकी उम्र ज़्यादा होने का कारण बता कर उसे स्कूल में वापस नहीं लिया गया |
दूसरी ओर रूबी की माँ का कहना है कि वो कपड़े प्रेस करने का कार्य करती है और बहुत मुश्किल से अपने चारो बच्चो को पढ़ा रही है उसका पति भी उनको छोड़कर जा चुका है जिसके कारण सारे घर की ज़िम्मेदारी उसके सर पर आ चुकी है ऐसे में बेटी के एडमिशन को लेकर रोज़ की भागदौड़ करने में वो है असमर्थ | वो अपनी बेटी को अच्छे से पढ़ाना – लिखाना चाहती है जिसके लिए वो वहा के पार्षद वेद पाल से मिल चुकी है | पार्षद का कहना है कि प्रिंसिपल से बात कर चुका है परन्तु वो अपने फैसले पर अडिग है | जब उन्होंने डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन साउथ सविता ड्रॉल से बात की तो उन्होंने बताया की बच्ची को उम्र के आधार पर नहीं निकाला जा सकता है | इस पर प्रिंसिपल का कहना था की उन्हें सोच समझकर फैसला लेना होगा | जहां पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है वहां महज़ १७ साल की उम्र में किसी को पढ़ाई से वंचित रखना कहा तक उचित है |अनुभवी आँखे न्यूज़ के लिए शिवानी पंवार की रिपोर्ट |
स्कूल ने लड़की को पढ़ाने से किया इंकार , पढ़ाई के आगे उम्र बनी रोड़ा
आया नगर : जिस देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है | वहां आखिर क्यों फिर एक बेटी को पढाई से वंचित कर दिया जाता है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे का खुले आम मज़ाक उड़ाया जा रहा है | सर्वोदय कन्या विद्यालय में पढ़ने वाली १७ वर्षीय रूबी को स्कूल वालो ने पढ़ाने से इंकार कर दिया है | स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि रूबी कि उम्र आठवीं कक्षा के हिसाब से ज़्यादा है जिस वजह से वो उसे स्कूल में नहीं पढ़ा सकते | उन्होंने आगे बताया कि रूबी का आधार कार्ड भी नहीं है परन्तु उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा की रूबी को ना पढ़ाने की वजह उसकी उम्र ही है |
रूबी ने बताया कि उसकी घर की समस्यांओ के कारण वो अप्रैल में स्कूल नहीं जा पाई थी और जब उसने जुलाई में स्कूल जाना शुरू किया तो स्कूल वालो ने उसके आधार कार्ड ना होने का हवाला देकर उसे मना कर दिया परन्तु जब उसने आधार कार्ड की स्लिप भी जमा करवादी तो उसके बाद आधार नंबर ना होने और उसकी उम्र ज़्यादा होने का कारण बता कर उसे स्कूल में वापस नहीं लिया गया | दूसरी ओर रूबी की माँ का कहना है कि वो कपड़े प्रेस करने का कार्य करती है और बहुत मुश्किल से अपने चारो बच्चो को पढ़ा रही है उसका पति भी उनको छोड़कर जा चुका है जिसके कारण सारे घर की ज़िम्मेदारी उसके सर पर आ चुकी है ऐसे में बेटी के एडमिशन को लेकर रोज़ की भागदौड़ करने में वो है असमर्थ | वो अपनी बेटी को अच्छे से पढ़ाना – लिखाना चाहती है जिसके लिए वो वहा के पार्षद वेद पाल से मिल चुकी है | पार्षद का कहना है कि प्रिंसिपल से बात कर चुका है परन्तु वो अपने फैसले पर अडिग है | जब उन्होंने डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन साउथ सविता ड्रॉल से बात की तो उन्होंने बताया की बच्ची को उम्र के आधार पर नहीं निकाला जा सकता है | इस पर प्रिंसिपल का कहना था की उन्हें सोच समझकर फैसला लेना होगा | जहां पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है वहां महज़ १७ साल की उम्र में किसी को पढ़ाई से वंचित रखना कहा तक उचित है। ःअनुभवी आँखे न्यूज़ ब्यूरो