मुरलीगंज (संवावदाता चंचल कुमार) – मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत रजनी पंचायत के वार्ड नंबर 8 काली स्थान स्थित प्राथमिक विद्यालय ड्योढ़ी में नौगछिया से आए कुछ इंटर पास युवकों के द्वारा अपने आप को डॉक्टरों की टीम कह कर विद्यालय में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर ठगी करने का आरोप लगा है ।मिली जानकारी के अनुसार इस शिविर में मरीजो से जांच शुल्क के रूप में 200 एवं दवाई का खर्च रोगी अनुसार 2500 से 3000, 3500, 4000, और 5000 रूपये तक एक मरीज से वसूली करने

का मामला प्रकाश में आया । गांव के कुछ लोगों द्वारा इस आशय की सूचना दी गई कि गांव में एक आयुर्वेदिक फर्जी शिविर चलाया जा रहा है ।जानकारी लेने जब विद्यालय ड्योढी स्कूल के दो कमरे में से एक में कुछ लोगों द्वारा मरीजों को देखने का काम किया जा रहा था । मौके पर एक लैपटॉप और कुछ सामान रखे हुए थे कमरे में 6 कार्टून आयुर्वेदिक दवाइयां रखी हुई थी। प्राथमिक विद्यालय ड्यूडी शिविर स्थल पर पहुंचा तो शिविर में देखा गया कि स्थानीय ग्रामीण महिला एवं पुरुष खासकर के बुजुर्ग गरीब तबके के लोग शिविर में अपने इलाज के लिए आए थे । तथाकथित अपने आप को डॉक्टर कहने वाले एक युवक ने पुर्जे पर मरीजों को दवाई लिखी जा रही थी । वहीं एक मरीज से फीस के तौर पर ₹200 और दवाई के नाम पर ₹25 सौ से लेकर ₹ 5 हजार तक ले जा रहे थे। वैदिकेयर वैलनेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की नाम की एक बैनर लगाकर विद्यालय में शिविर का आयोजन किया जा रहा था। शिविर में शुगर, ह्रदय, पेट की गैस, शारीरिक कमजोरी, महिलाओं की आंतों की बीमारी, लिकोरिया, सफेद दाग, कमर दर्द, सीने में दर्द थकान मांस पेशियों में दर्द, जुकाम, बुखार ,खून की कमी, गठिया, अपच, निमोनिया, माइग्रेन, लिवर कैंसर, बालों का झड़ना, मिर्गी, दुबलापन, सर्दी एवं सुस्ती, मुंह के छाले, वबासीर, बीपी, वजन बढ़ना, वजन कम होना सहित अन्य सभी बीमारी का इलाज किए जाने का शत प्रतिशत गारंटी लिया जा रहा था.
जब इस मामले में प्राथमिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार ने कैंप कर डॉक्टरों से शिविर लगाने की अनुमति के कागजात एवं उनके डॉक्टर होने के प्रमाण पत्र आदि की पूछताछ की तो कोई भी प्रमाणिक दस्तावेज या कैंप लगाने की अनुमति से संबंधित प्रमाण पत्र नहीं दिया गया । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीगंज के स्वास्थ्य प्रबंधक मोहम्मद शाहबुद्दीन को इन लोगों के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाने एवं पुलिस को सूचित करने की बात कही ।

दवाई के पुर्जे मांगने पर देखा कि 3000 से ₹4000 की दवाइयां रोगियों को दिए जा रहे थे जबकि उस दवाई की बिक्री की रसीद पर ना तो टैन नंबर था, ना ही जीएसटी. मौके पर मौजूद चिकित्सा पदाधिकारी ने इसे राजस्व की चोरी भी बताया
उस डॉक्टर से उसकी पढ़ाई के विषय में जब चिकित्सा पदाधिकारी ने पूछा तो उसने अपना नाम बबलू कुमार और वह इंटर पास अपने आप को बताया
। अनुमति के विषय में उसने बताया कि वह स्थानीय मुखियां से अनुमति लिया है।जब स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि राजीव राजा से पूछा गया तो उन्होंने शिविर स्थल पर पहुंचकर अनुमति के संबंध में साफ इनकार किया और कहा कि मेरे तरफ से इस तरह की कोई अनुमति नहीं दी गई है और ना ही मुझे इस बात की कोई जानकारी है. अगर यह लोग गलत है तो ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए जो गांव में आकर गरीब सीधे साधे लोगों को ठगने का काम करते हैं ।इस मामले में स्वास्थ्य प्रबंधक शहाबुद्दीन ने बताया कि चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा पुलिस पदाधिकारी को इस मामले में जानकारी दे दी गई है एवं उन लोगों को हिरासत में लेने के उपरांत प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी ।विद्यालय में शिविर के संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अमरेंद्र कुमार से पूछने पर उन्होंने बताया कि मेरे पास सिर्फ दो ही कमरे थे और बच्चे अधिक है इसलिए मैं अनुमति नहीं दे रहा था और ना ही दिया हूं. ये लोग सचिव के साथ मिलकर जबरदस्ती एक कमरा खाली कराकर उसमें शिविर का संचालन कर रहे हैं।updated by gaurav gupta

loading...