देश में बढ़ते अपराध और उसमे भी रेप जैसी घटनाओ का ज्यादा एवं कठुआ समेत कई इलाकों में बच्चियों के साथ हुई दरिंदगी के बाद ऐसे आरोपियों को फांसी की सजा की मांग के लिए देश भर में आवाज उठाई गई। इसके बाद शनिवार को केंद्र सरकार ने 12 साल तक की बच्ची के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया है। इसके लिए पॉक्सो ऐक्ट में बदलाव के लिए ऑर्डिनेंस जारी कर दिया है। 16 दिसंबर को निर्भया रेप और मर्डर केस में बाद देश में संसद से सड़क तक पर रेप कानून में बदलाव के लिए लोगों ने आवाज उठाई थी, तब रेप कानून में सख्त सजा का प्रावधान किया गया था और इसके तहत रेप विक्टिम मरनासन्न अवस्था में पहुंच जाए तो फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था। पॉक्सो और ऐंटी-रेप लॉ में कानून का क्या प्रावधान है, उसका अवलोकन जरूरी है।

अधिवक्ता नवीन शर्मा के मुताबिक, पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्शुअल अपराध इस कानून के दायरे में आता है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की दोनों को ही प्रॉटेक्ट किया गया है। इस ऐक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरसमेंट और पॉर्नोग्रफी जैसे अपराध से प्रॉटेक्ट किया गया है। 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है।

रेप में कब फांसी
इसके अलावा आईपीसी की धारा-376 ए के तहत प्रावधान किया गया कि अगर रेप के कारण महिला विजिटेटिव स्टेज (मरने जैसी स्थिति) में चली जाए तो दोषी को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है। साथ ही गैंग रेप के लिए 376 डी के तहत सजा का प्रावधान किया गया, जिसके तहत कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रभर के लिए जेल (नेचरल लाइफ तक के लिए जेल) का प्रावधान किया गया। साथ ही 376 ई के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई शख्स रेप के लिए पहले दोषी करार दिया गया हो और वह दोबारा अगर रेप या गैंग रेप के लिए दोषी पाया जाता है तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा होगी।अनुभवी आँखें न्यूज़ 

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