कहते है लोगो में कई रहस्य्मयी चीज़ों को जानने की उत्सुकता रहती है , फिर चाहे वो गुफा हो या फिर कोई महल । आपने कुछ रहस्य्मयी जगहों के बारें में भी सुना ही होगा जो सदियों से काफी चर्चित रही है, जी हाँ आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताएंगे जो पिछले काफी समय से रहस्य बनी हुई है । राजस्थान के जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-11) पर स्थित दौसा जिले का ह्रदय कहे जाने वाले सिकंदरा कस्बे से उत्तर की ओर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, आभानेरी गाँव। ऐसा कहा जाता है की आभानेरी गाँव 3000 वर्ष से भी अधिक पुराना हो सकता है, इसी गाँव में स्थित है “चाँद बावडी”। दरअसल कहा जाता है कि आभानेरी गाँव का शुरूआती नाम पहले “आभा नगरी” था (जिसका मतलब होता है चमकदार नगर), लेकिन बाद में इसका नाम परिवर्तित कर आभानेरी कर दिया गया। हम आपको बता दे कि चाँद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में निर्मित इस बावडी का निर्माण राजा मिहिर भोज (जिन्हें कि चाँद नाम से भी जाना जाता था) ने करवाया था, और उन्हीं के नाम पर इस बावडी का नाम चाँद बावडी पडा। यह भी कहा जाता है कि यह बावड़ी दुनिया की सबसे गहरी और चारों ओर से लगभग 35 मीटर चौडी है तथा इस बावडी में ऊपर से नीचे तक पक्की सीढियाँ बनी हुई हैं, जिससे पानी का स्तर चाहे कितना भी हो, आसानी से भरा जा सकता है। 13 मंजिला यह बावडी 100 फ़ीट से भी ज्यादा गहरी है, जिसमें भूलभुलैया के रूप में 3500 सीढियाँ (अनुमानित) हैं। इसके ठीक सामने प्रसिद्ध हर्षद माता का मंदिर है। और ये भी माना जाता है की बावडी इसलिए बनाई गयी थी , ताकि जो भी इस मंदिर में जाये तो अपने आपको साफ और स्वच्छ करके जाये | लेकिन इस बावड़ी के निर्माण से सम्बंधित कुछ और किवदंतियाँ भी प्रचलित हैं जैसे कि इस बावडी का निर्माण भूत-प्रेतों द्वारा किया गया और इसे इतना गहरा इसलिए बनाया गया कि इसमें यदि कोई वस्तु गिर भी जाये, तो उसे वापस पाना असम्भव है। और यह भी सुनने में आता है कि यदि कोई व्यक्ति एक जिस सीढ़ी एक बार चला जाता है वो उसी सीढ़ी से वापस नहीं आता है | इस बावड़ी को लेकर यहाँ लोगो एक कहना कि 1021-26 के दौरान मोहम्मद गजनवी ने मंदिर एवं इसके परिसर में तोड-फ़ोड की तथा मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था, और वे खण्डित मूर्तियाँ आज भी मंदिर एवं बावडी परिसर में सुरक्षित रखी हुई हैं। लेकिन बाद में 18वीं सदी में जयपुर महाराजा ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। इसके साथ हम आपको बता दे दौसा की चाँद बावड़ी की तरह ये बावड़ी भी एक रात में ही बनी थी। इतना ही नहीं ये भी कहते है कि चाँद बावड़ी , आलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी तीनो को ही एक रात में बनाया गया और ये तीनो सुरंग से एक-दूसरे से जुड़ी हैं। अनुभवी आँखे न्यूज़ टीम

 

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