पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को साफ कर दिया है कि उनके उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सीबीआई के आरोपों पर तथ्य के साथ प्रामाणिक जवाब देना चाहिए लेकिन इस जवाब देने की कोई समय अवधि तय नहीं की. इसके कारण अब माना जा रहा है कि नीतीश कुमार का यह अल्टीमेटम तेजस्वी यादव को कम और महागठबंधन के सहयोगी राजद और कांग्रेस को ज्यादा दिया है और इसके जरिये उन पर यह दबाव बढ़ा दिया है कि अब तेजस्वी यादव का इस्तीफा आने वाले चंद रोज में कराना होगा.
राजद के नेता मगंगवार की शाम को मंथन करने के बाद भले ही ऑन रिकॉर्ड यह कह रहे हों कि तेजस्वी का इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं है लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड मानते हैं कि राजनीतिक द्वेष के अलावा उनके पास कोई ऐसा तथ्य या तर्क नहीं है जिससे वे नीतीश को संतुष्ट कर सकें. राजद के वरिष्ठ नेता यह भी मानते हैं कि नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से सीबीआई से पूछताछ या कोर्ट के फैसले या चार्जशीट का इंतजार किए बिना जो शर्त रखी है, फिलहाल पार्टी उनकी यह मांग मानने में असमर्थ है. हालांकि वे ये भी मानते हैं कि यदि लालू यादव महागठबंधन को बचाने के लिए तेजस्वी या सभी राजद मंत्रियों का इस्तीफा करा भी दें लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इससे नीतीश कुमार या उनकी पार्टी तालमेल जारी रखेगी.
वहीं दूसरी तरफ जदयू नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार ने मन बना लिया है कि महागठबंधन का भविष्य अब बहुत ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है और नीतीश के विश्वास का मुख्य आधार यही है कि उनको सीबीआई के आरोपों के बारे में सीबीआई के अधिकारियों से भी कहीं अधिक मालूम हैं कि रेल मंत्रालय से लेकर मॉल निर्माण तक तक जो गड़बडि़यां पिछले 12 वर्षों तक जारी रही, उनके हर तथ्य के बारे में उनको समग्रता से जानकारी है, जिसके आधार पर कम से कम इस मामले में लालू और उनके परिजनों को निर्दोष मानने की गलतफहमी नहीं पालते.
वैसे भी नीतीश कुमार का भ्रष्टाचार के मामले में रुख एकदम साफ है. अतीत में पांच मंत्रियों को इन आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ा है और नीतीश कुमार की सार्वजनिक जीवन में छवि ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है. मंगलवार को जदयू की बैठक के दौरान नीतीश के करीबी सांसद आरसीपी सिंह और मंत्री ललन सिंह ने साफ शब्दों में इस बात को कहा भी था कि हमारी पार्टी के पास व्यापक जातियों का जनाधार नहीं है लेकिन आपकी साफ छवि के कारण हर जाति और समुदाय का समर्थन है और अगर ये नहीं बचा तो फिर राजनीति में हम अप्रासंगिक हो जाएंगे?
उधर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से तेजस्वी यादव को अल्टीमेटम देकर एक तरीके से महागठबंधन को तिलांजलि देने की भूमिका तैयार कर दी है और उनका मानना है कि नीतीश कुमार अब कब इस महागठबंधन को बाय-बाय कहेंगे, उसका समय नीतीश ही तय करेंगे. कांग्रेस को वैसे तो नीतीश्ा से कोई शिकायत है लेकिन उसका मानना है कि यदि लालू और नीतीश मिल-बैठकर बातचीत करें तो समस्या का समाधान निकल सकता है. हालांकि कांग्रेसी नेता मानते हैं कि यदि नीतीश ने मन बना लिया है तो महागठबंधन के भविष्य पर सवालिया निशाल खड़ा हो जाता है और नीतीश के भविष्य में बीजेपी के साथ जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.