आज से गणेश चतुर्थी का पर्व शुरू हो गया है. गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिनों तक बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को गणेशोत्सव या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के इस उत्सव को उनके भक्त बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं.गणेशोत्सव पर्व के दौरान भगवान गणेश के भक्त अपने घरों में उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं और 10 दिन बाद गंगा जी में उस मूर्ति का विर्सजन करते हैं. किसी भी नए या अच्छे काम की शुरूआत करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाना शुभ माना जाता है.

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व भद्रा महीने में आता है यानि के हर साल यह त्योहार अगस्त या सितंबर के महीने पड़ता है. गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिनों तक चलता है, ऐसा माना जाता है विर्सजन के बाद वह अपने माता-पिता देवी पार्वती और भगवान शिव के पास लौट जाते हैं. इस साल गणेश चतुर्थी का यह पर्व 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगा. इन दिनों भगवान गणेश भक्त उन्हें हर रोज नए-नए पकवान और मिठाईयों का भोग लगाते हैं. हालांकि भगवान गणेश को मिठाई में मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है.

गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व

गणेश चतुर्थी का यह शुभ त्योहार महाराष्ट्र, गोवा, केरल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में काफी जोश के साथ मनाया जाता है. इतना ही नहीं इस त्योहार के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं जिनमें से उनके माता-पिता माता पार्वती और भगवान शिव के साथ जुड़ी उनकी कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है. कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से भगवान गणेश का निर्माण किया था. एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थी और उन्होंने गणेश को आदेश दिया जब तक वह स्नान करके न लौट आए तब वह दरवाजे पर पहरा दें. लेकिन तभी भगवान शिव वहां आ गए और गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका.

भगवान गणेश और शिव के बीच इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ और क्रोध में आकर भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया. यह दृश्य देखकर माता पार्वती बेहद क्रोधित होती है जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को वचन दिया कि वह गणेश को नया जीवन देंगे. इस घटना के बाद भगवान शिव ने अपने साथियों को एक सिर ढूंढने के लिए भेजा, उन लोगों ने एक हाथी का सिर लाकर उन्हें दिया. भगवान शिव ने वह हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़कर उन्हें नया जीवन दिया जिसके बाद भगवान गणेश को गजानन कहकर पुकारा जाने लगा.

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किस तरह मनाया जाता है गणेश चतुर्थी का त्योहार

गणेश चतुर्थी का त्योहार आने से दो-तीन महीने पहले ही कारीगर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं. इन दिनों बाजारों में भगवान गणेश की अलग-अलग मुद्रा में बेहद ही सुंदर मूर्तियां मिलना शुरू हो गई हैं. गणेश चतुर्थी वाले दिन लोग इन मूर्तियों को अपने घर लाते हैं. कई जगहों पर 10 दिनों तक पंडाल सजे हुए दिखाई देते हैं जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित होती हैं. प्रत्येक पंडाल में एक पुजारी होता है जो इस दौरान चार विधियों के साथ पूजा करते हैं. सबसे पहले मूर्ति स्थापना करने से पहले प्राणप्रतिष्ठा की प्रथा निभाई जाती है. इस अनुष्ठान के बाद शोडोषोपचार- भगवान को 16 तरह से श्रद्धांजलि दी जाती हैं. इसके बाद उत्तरपूजा की जाती है जिसमें मूर्ति को एक स्थान से दूसरे स्थानांतरित किया जाता है और आखिरी अनुष्ठान में गणपति का विसर्जन किया जाता है। गणपति विसर्जन के दौरान उनके भक्त ”गणपति बप्पा मोरया, पुग्चा वर्षा लोकर या” जिसका मतबल है गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ.

प्रसाद और भोग

भगवान गणेश खाने के बेहद शौकीन थे, उन्हें कई तरह की मिठाईयां जैसे मोदक, गुड़ और नारियल जैसी चीज़े प्रसाद या भोग में चढ़ाई जाती हैं. गणेश जी को मोदक काफी पंसद थे जिन्हें चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है. . इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है.

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गणेश चतुर्थी 2017: पूजा शुभ मुहूर्त और समय
भगवान गणेश को घर लाने का समय:
मध्याह्न के समय को गणेश पूजा: सुबह 11:25 से 1 बजकर 57 मिनट
24 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने  का समय- 20: 27 बजे से शाम 21:02 बजे तक
25 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 09: 00 बजे से 21: 41 बजे तक
अनंत चतुर्दशी दिवस पर गणेश विसर्जन
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चोघडिया मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त (चार, लाभ, अमृत) – 09:32 बजे- 14:11 अपराह्न
दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे
शाम का मुहूर्त(प्रयोग) = 20:17 अपराह्न – 21: 44 बजे
रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे

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