–इस्कॉन द्वारका में भगवान के स्वागत की तैयारियाँ
–सबसे पहले अपने हृदय को निर्मल बनाएँ
– गुंडिचा मार्जन पर व्याख्यान से होगी उत्सव की शुरुआत
द्वारका/दिल्ली – श्रद्धा और प्रेम के भावों को लिए भक्त भगवान की सेवा करने का बहाना ढूँढ़ते हैं और अकसर उन्हें यह मौका भगवान प्रदान भी करते हैं। भगवान के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने का एक सुअवसर गुंडिचा मार्जन उत्सव के दिन भक्तों को मिल रहा है। बृहस्पतिवार यानी 30 जून को सारे भक्त इस्कॉन द्वारका मंदिर में एकत्रित होंगे और अपनी बारी-बारी से मंदिर की धुलाई और सफाई का काम आरंभ करेंगे।
इस उत्सव का उद्देश्य यह है कि किस प्रकार मनुष्य को शुद्ध तथा शांत हृदय में भगवान कृष्ण का स्वागत करना चाहिए। यदि कोई चाहता है कि भगवान उसके हृदय में विराजमान हों तो सबसे पहले उसे अपने हृदय को निर्मल बनाना चाहिए अर्थात चेतोदर्पण मार्जनम् हो सके। मनुष्य को अपने हृदय को उसी तरह स्वच्छ रखना होगा जिस तरह महाप्रभु ने गुंडिचा मंदिर को स्वच्छ रखा था।
इसके पीछे कथा यह है कि जब भगवान जगन्नाथ अपना अनवसर काल (विग्रह का निवृति काल पूर्ण होने के बाद का समय) समाप्त करके भक्तों को दर्शन देने के लिए तैयार होते हैं तब उनके स्वागत के लिए भक्तजनों द्वारा मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई की जाती है।
आज से 500 वर्ष पूर्व श्री चैतन्य महाप्रभु (श्रीकृष्ण) ने भी अपने भक्तों और संगियों के साथ जगन्नाथ पुरी स्थित गुंडिचा मंदिर को अनेकों घड़ों पानी और झाडुओं से धोया-बुहारा और उसकी अच्छी तरह साफ-सफाई की थी। महाप्रभु ने मंदिर के भीतर की हर चीज को यहाँ तक कि छत, दीवारों व फर्श को भी बहुत अच्छी तरह से साफ किया। भगवान के सिंहासन को भी उठाया और उसे साफ किया। मंदिर की छोटी-बड़ी इमारतों, चबूतरों, कीर्तन, सभास्थल, भोग-मंदिर, आँगन, रसोई-घर, प्रसाद-क्षेत्र व रिहायशी मकानों को भी कृष्ण-नाम का उच्चारण करते हुए साफ किया। उन्होंने धूल-मिट्टी, बालू के छोटे-छोटे कणों को इकट्ठा कर बाहर फेंका। इस तरह उन्होंने अपने सैकड़ों भक्तों के साथ मंदिर की चारों ओर से सफाई कर उसे अपने हृदय के समान शीतल तथा उज्ज्वल बना दिया, जिससे वह भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) के बैठने के लिए उचित स्थान बन सका। माना जाता है कि मंदिर के सारे कमरों की सफाई के बाद भक्तों के मन भी कमरों की तरह निर्मल हो गए। स्वच्छ हो जाने के बाद मंदिर भी शुद्ध, शीतल तथा मनभावन हो गया मानो महाप्रभु का शुद्ध मन प्रकट हुआ हो।
इस्कॉन द्वारका में उत्सव की शुरुआत प्रातः 8 बजे से ही आरंभ हो जाएगी। गुंडिचा मार्जन पर व्याख्यान के बाद 9 बजे प्रसाद वितरण होगा। फिर सफाई-धुलाई में भक्तजन बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे और अपने हृदय का मार्जन करेंगे।
updated by gaurav gupta