ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित गौर मणि माताजी का हरिनाम संकीर्तन

–कृष्ण प्रेम में सराबोर भक्ति रस का आनंद लेंगे हजारों भक्त

–संगीतमय अंदाज में होगा नए साल का स्वागत 

 

दिल्ली – नया साल 2024, नए जोश और नई उमंग के साथ शुरू हो रहा है। हर साल की तरह हर जगह उत्साह और उल्लास का माहौल बना रहता है। कुछ ऐसा ही खुशनुमा और आनंद देने वाला अवसर प्रदान किया है इस्कॉन द्वारका ने नए साल की संध्या को। शाम 5.30 बजे अमेरिका से विशेष रूप से पधारीं, ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित गौर मणि माताजी का हरि नाम संकीर्तन दिल्ली व एनसीआर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा।

गौर मणि माताजी की खासियत है कि वे अमेरिका में जन्मीं, पली-बढ़ी होने के बावजूद भी भारत की संस्कृति से विशेष लगाव रखती हैं। उन्होंने भारतीय सभ्यता, धर्म-संस्कृति व आचार-विचार को इस तरह आत्मसात किया है कि उनकी आवाज़, लिबास और हर एक अदा में आध्यात्मिकता की झलक देखने को मिलती है। यही वजह है कि जब भी वे अपनी टीम के साथ भारत आती हैं तो उनसे मिलने, उनके कीर्तन को सुनने के लिए सभी लालायित हो उठते हैं।

अगर उनकी परवरिश की बात करें तो वह बचपन से ही कृष्णभक्ति से जुड़ी हैं, क्योंकि उनका जन्म शिकागो के इस्कॉन मंदिर में हुआ और हरे कृष्ण महामंत्र सुनते-सुनते हुए वे बड़ी हुईं। उनके माता-पिता भारतीय थे और सन 70 के दशक में जब अमेरिका में इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद का हरे कृष्ण आंदोलन चल रहा था, तब वे अमेरिका में स्थानांतरित हो गए थे और तभी से गौर मणि जी की माता वहाँ पूरा दिन प्रसादम की सेवा करती थीं। भारतीय संस्कारों के लिए गौर मणि जी की माता ने, गौर मणि को गुरुकुल में शिक्षा दिलवाई, जिससे मात्र चार साल की उम्र में गौर मणि जी ने लाइव कीर्तन प्रस्तुति के माध्यम से अपने हुनर का परिचय दे दिया था। महामंत्र का प्रभाव हमेशा जीवन में साथ रहा और आगे चलकर उन्होंने इसके प्रचार को न केवल चुना बल्कि कृष्णभक्ति के प्रचार को अपना ध्येय बना लिया। उनका मानना है कि भगवान को जानना और उन्हें अनुभव करना और भक्ति का माहौल सबको मिलना चाहिए। लोग करना चाहते हैं, कर सकते हैं पर उन्हें भक्ति के स्वाद का पता नहीं होता। ऐसे में कई बार हरे कृष्ण महामंत्र की मेरी प्रस्तुतियों को देखने-सुनने के बाद लोगों का जीवन बदल जाता है। वे पूछते हैं कि आप इतना खुश कैसे रहती हैं, फिर जब उन्हें हरे कृष्ण महामंत्र और श्रीमद्भगवद्गीता के कृष्ण ज्ञान के बारे में बताते हैं, तो लोग कृष्णभावनाभावित होकर कृष्णमय हो जाते हैं, जैसे मैं हमेशा कृष्ण प्रेम को पाने के लिए लालायित रहती हूँ।

बस इसी तरह कई साल बीत गए और अब अच्छा लगता है कि लोग धीरे-धीरे भक्ति के महत्व को समझ रहे हैं। लगभग पूरी दुनिया के सभी देशों में अपने कीर्तन परफॉर्मेंस से मैं काफी खुश हूँ। दिल्लीवासियों का मुझे हमेशा प्यार मिला है और इसीलिए यहाँ आने का कोई भी मौका मैं नहीं छोड़ना चाहती।

 

वंदना गुप्ता

 

updated by gaurav gupta 

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