इस्कॉन द्वारका की ओर से भव्य आयोजन 

—नाम संकीर्तन के रूप में जन्माष्टमी की तैयारियाँ आरंभ

—शहर के गली-नुक्कड़, कोने-कोने में हरि नाम की गूँज

—हरि नाम देगा ‘कृष्ण जन्मोत्सव’ का निमंत्रण  

जीवन में खुशियाँ प्रदान करने वाले कुछ विशेष उत्सव होते हैं, जिनकी तैयारियाँ हम कुछ दिन पहले नहीं बल्कि कुछ महीने पहले से ही शुरू कर देते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा ही उत्सव है। विश्व के प्रत्येक भाग में अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के भक्त लगभग डेढ़ महीने पहले अपने-अपने शहरों, गाँवों और कस्बों में हरि नाम संकीर्तन शुरू कर देते हैं। यह कृष्ण जन्माष्टमी से पूर्व की तैयारियों का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें शहर के लोगों को कृष्ण जन्मोत्सव मनाने का निमंत्रण दिया जाता है। श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन द्वारका मंदिर के वरिष्ठ भक्तों द्वारा यह निमंत्रण हरि नाम संकीर्तन के रूप में 16 जुलाई रविवार को दोपहर 3.30 बजे दिया जाएगा। वेटरिनरी हॉस्पीटल से शुरू होकर यह संकीर्तन यात्रा शहर के गली-नुक्कड़, कोने-कोने से होते हुए महावीर एंक्लेव तक जाएगी। इस्कॉन द्वारका के अध्यक्ष प्रद्युम्न प्रिय दास सहित अन्य वरिष्ठ भक्त जैसे जाने-माने प्रचारक अमोघ लीला दास, प्रशांत मुकुंद दास, अमल कृष्ण दास आदि स्वयं यात्रा में सम्मिलित यह निमंत्रण जन-जन तक पहुँचाएंगे।

शास्त्रों में भी हरि नाम संकीर्तन की महिमा इस प्रकार बताई गई है। श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वादश स्कंध के 13वें अध्याय के 23वें श्लोक में कहा गया है किः

नाम संकीर्तनं यस्य सर्वपापप्रणाशनम्,

प्रणामो दु:खशमनस्तं नमामि हरिं परम्।

अर्थात मैं उन भगवान् श्रीहरि को सादर नमस्कार करता हूँ, जिनके पवित्र नामों का सामूहिक कीर्तन सारे पापों को नष्ट करता है और जिनको नमस्कार करने से सारे भौतिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा। तो कलियुग में केवल नाम का आधार ही है जिसके द्वारा व्यक्ति अपना उद्धार कर सकता है अर्थात मुक्ति प्राप्त कर सकता है। और जो भी इसको सुनता है, चाहे वह पेड़-पौधे एवं विशाल वृक्ष हों या सड़क पर चलने पर आमजन, सभी का भला करता है। केवल श्रवण करने मात्र से इनको इसका लाभ मिलता है। अतः जन-कल्याण के उद्देश्य से भी हरिनाम संकीर्तन किया जाता है। संकीर्तन शब्द का अर्थ है कि संग में आकर कीर्तन करना। तो ज्यादा से ज्यादा लोग संग में आएँगे और कीर्तन करेंगे क्योंकि कहा गया है कि– कलो संग शक्ति– अर्थात कलियुग में संग की शक्ति है और इसी संकीर्तन से हमारे सभी अनर्थों का नाश होता है और सभी पाप विनष्ट हो जाते हैं।

अतः इसकी इतनी महिमा है कि सभी को हरिनाम संकीर्तन में भाग लेना चाहिए। संकीर्तन करने वाले, सुनने वाले को और स्वयं भगवान को भी आनंद प्राप्त होता है। इस संकीर्तन यात्रा के माध्यम से श्रीकृष्ण के अवतार चैतन्य महाप्रभु के संदेश भी लोगों तक पहुँचाया जाएगा कि आप हरे कृष्ण महामंत्र को स्वीकार करो और नाम जप में रुचि विकसित करो। फिर हरि नाम संकीर्तन के माध्यम से लोगों में इसका प्रचार करो। लोग तरह-तरह के ध्यान कर आनंद की खोज करते हैं लेकिन कितना सुखद अनुभव होता है कहना मुश्किल है! संकीर्तन ध्यान की सामूहिक विधि है जिसमें भगवान के नामों का वाद्ययंत्रों के साथ उच्चस्वर में गायन किया जाता है।

आप भी आएँ और इस नाम संकीर्तन यात्रा में भाग लेकर आनंद उठाएँ। बीच-बीच में नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किए जाएँगे। महावीर एंक्लेव पर यात्रा का विराम होगा। तत्पश्चात प्रसादम वितरित किया जाएगा।

 

updated by gaurav gupta 

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