द्वारका/दिल्ली – 

—श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों के उच्चारण मात्र से होगा दुखों का निवारण

—अर्जुन जैसे सखा, शिष्य और सच्चे भक्त बनकर ही समझ सकते हैं गीता का ज्ञान

गीता यज्ञ में आहुति से मिलेगी मन को शांति

कहते हैं यह संसार दुखालय है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति अनेक प्रकार की कठिनाइयों में फँसा रहता है, दुखी रहता है, बिलकुल ऐसे जैसे कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध करने से पहले अर्जुन कठिनाई में था। जब कोई रास्ता नज़र नहीं आया तो अंततः उसने श्रीकृष्ण भगवान की शरण ग्रहण की। आज व्यक्ति के पास भी न तो दुखों का अंत है और न उनका कोई हल। ऐसे में इस्कॉन द्वारका दिल्ली मंदिर व्यक्ति के दुखों के समाधान के रूप में यही संदेश लेकर आया है कि श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करो और अर्जुन जैसे सखा, शिष्य और सच्चे भक्त बनकर श्रीकृष्ण की शरण ग्रहण करो।

शनिवार यानी 3 दिसंबर को गीता जयंती के पावन अवसर पर मंदिर में प्रातः 9.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक गीता के श्लोकों का उच्चारण कर हवन यज्ञ में आहुति दी जाएगी। इसमें अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर आप भी अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

यह सच है कि हम प्रतिदिन श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों को पढ़ते हैं, दूसरों को सुनाते हैं, पर माना जाता है कि गीता जयंती के दिन जो कोई श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों को विनम्र भाव से पढ़ता है, सुनता है तो उसका ह्रदय पवित्र हो जाता है और उसे कोटि-कोटि जन्म का पुण्य लाभ मिलता है। इस दिन आप गीता दान करके एक अन्य लाभ भी ले सकते हैं। गीता दान महादान तो आपने सुना ही होगा। इसका हिस्सा बनकर आप तुलादान भी करा सकते हैं। परिवार में किसी भी सदस्य के भार के बराबर गीता दान कर भवबंधन से मुक्ति प्राप्त करने का अतुलनीय लाभ उठा सकते हैं। मंदिर प्रांगण में तुलादान एवं भगवद्गीता वितरण की भी विशेष व्यवस्था की गई है। तत्पश्चात महाप्रसादम वितरण किया जाएगा।

सायंकालीन कार्यक्रम में शाम 7 बजे भगवद्गीता प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी भक्तगण भाग लेकर अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं। श्लोकों का सही उच्चारण करने की सही समझ भी प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह आप गीता जयंती उत्सव में भाग लेकर अर्जुन की तरह भगवान के प्रिय भक्त, सखा और शिष्य बन सकते हैं और कुछ सौंदर्यशाली गुणों को आत्मसात कर सकते हैं। भगवद्गीता की भूमिका में स्पष्ट कहा गया है कि जिस व्यक्ति में अर्जुन जैसे गुण पाए जाते हैं, वह भगवद्गीता को अच्छी तरह समझ सकता है और जैसे ही कोई भगवान का भक्त बन जाता है, उसका सीधा संबंध भगवान से जुड़ जाता है। आइए, हम भी इस गीता यज्ञ में भाग लें और अपना संबंध भगवान के साथ जोड़ने की कोशिश करें।

updated by gaurav gupta 

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