भारत सरकार के खेती कानून के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बैठे किसानों ने देश भर में 6 फरवरी को चक्का जाम करने की दी चेतावनी ट्रैक्टर रैली के दौरान की गई गलती को पुलिस अब दोहराना नहीं चाहती है। जिसकी वजह से गाजीपुर बॉर्डर को पुलिस ने किले में तब्दील कर दिया है किसानों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हर संभव कोशिश की है। हाइवे पर दो कंक्रीट बैरियर के बीच की जगह को सीमेंट से फिक्स किया गया है सुरक्षा इतना चाकचौबंद की गई है उसका अंदाजा आप इस बात से लगा कि हाइवे के नीचे जा रही सड़क के जंगल के रास्ते पर भी फेंसिंग की जा चुकी है इन रास्तों पर पुलिस, मीडिया, इमर्जेंसी सर्विस से जुड़ी गाड़ियां, किसी को भी जाने की इजाज़त नहीं है। हाइवे पर बैरिकेडिंग को लोहे के एंगल से फिक्स कर उग्र आंदोलनकारियों के आगे की रणनीति तय करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 1 फरवरी को हुई थी। इसकी अध्यक्षता श्री बलबीर सिंह राजेवाल ने की। सयुंक किसान मोर्चा skm ने फैसला किया है कि जब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन के खिलाफ विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के सड़क खुदाई, कंटीले तारों की बाड़ लगाने, आंतरिक छोटी सड़कों को बंद करने, इंटरनेट सेवाओं को रोकने जैसी कार्रवाई के खिलाफ है। किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार विभिन्न राज्यों में चल रहे विरोध की बढ़ती किसानो की ताकत से बेहद भयभीत है। एसकेएम ने विभिन्न थानों में कई प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और हिरासत, किसानों के वाहनों को जब्त करने की कड़ी निंदा की और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहाँ कि लाल किले वाली घटना के बाद से उनके सैंकड़ों किसान लापता हैं जो एक चिंता और डर का विषय है

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