पूर्णियाँ – 9 मई 2020 को सहयोग अध्यक्ष डॉ अजीत प्रसाद सिंह के सहयोग प्रांगण में सोशल डिस्टेंस को पालन करते हुए महाराणा प्रताप जयंती अवसर पर डॉ अजीत सिंह ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया।  इस अवसर पर डॉ अजीत प्रसाद सिंह के द्वारा निहायत जरूरतमंद रोगियों का सेवा करने के साथ ही उन्हें निशुल्क होम्योपैथिक दवा भी दिया गया और महान प्रतापी महाराणा प्रताप की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए डॉ सिंह ने कहा

महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का जन्म 9मई 1540 एवं मृत्यु 19जनवरी1597हुआ था उदयपुर, मेवाड में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया।

इन महान योद्धाओं से हम सबों को प्रेरणा लेने की सीख मिलती है कि देश सर्वोपरि होता है धर्म जाति संप्रदाय से ऊपर उठकर देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहे इन्होंने घास की रोटी खाकर मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की और आत्मसम्मान और जमीर की रक्षा करते हुए मुगलों के दांत खट्टे करते रहे इतना ही नहीं इन्होंने जंगल में भील जनजाति के साथ मिलकर जो आपसी भाईचारा का संदेश दिया और उनके साथ मिलकर कई युद्ध लड़े और सब उनका सम्मान करते हुए अपनी प्रजा की रक्षा के लिए तत्पर रहें दुश्मन भी उसके साहस इज्जत करता था महाराणा प्रताप के मौत पर इनके सबसे बड़े दुश्मन अकबर भी रोया था

मुगलिया सल्तनत से मरते दम तक टक्कर लेने वाले राजपूत आन बान और शान के ध्वजा वाहक महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह के घर हुआ था।

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ ऐसे बातें हैं, जिनके बार एक बारगी लोगों का विश्वास करना मुश्किल होगा, लेकिन वो सच है। जैसे उनके भाले का वजन 81 किलो, छाती का कवच 72 किलो, भाला, कवच, ढाल और दो तलवारें मिलाकर कुल वजन 208 किलो था। ये सारी चीजें आज भी उदयपुर राज घराने के संग्राहलय में सुरक्षित हैं। 7 फीट और पांच इंच लंबे प्रताप के घोड़े के बारे में कई किस्से हैं। उनके घोड़े का नाम चेतका था।

कार्यक्रम में संस्थान के सदस्य राहुल कुमार शर्मा डॉ प्रीतम सक्षम राज डॉ सतीश ठाकुर आदि उपस्थित हुए।updated by gaurav gupta

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