*हस्तशिल्प का कोई मुकाबला नहीं-जिलाधिकारी*
गया(संवावदाता धीरज गुप्ता) – गांधी मैदान में उपेंद्र महारथी संस्थान एवं उद्योग विभाग के तत्वाधान में आयोजित हस्तशिल्प मेला सह प्रदर्शनी का उद्घाटन जिलाधिकारी अभिषेक सिंह के कर कमलों से
फीता काटकर किया गया और उन्होंने घूम घूम कर सभी स्टालों का अवलोकन लिया।डिप्टी डाइरेक्टर विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह द्वारा जिलाधिकारी अभिषेक सिंह को पुष्पगुछ देकर उनका स्वागत किया गया। तथा उन्हें अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर उनको सम्मानित किया गया।जिलाधिकारी अभिषेक सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। जिसमें चेंबर ऑफ कॉमर्स कौशलेंद्र प्रताप सिंह, एस सी जैन डीपीओ प्लानिंग,सच्चिदानंद प्रेमी ने सहयोग किया।जिलाधिकारी ने संबोधन में उपेंद्र महारथी संस्थान एवं उद्योग विभाग के तत्वाधान में आयोजित हस्तशिल्प मेला सह प्रदर्शनी में उपस्थित डिप्टी डायरेक्टर विकास पदाधिकारी अशोक कुमार, कौशलेंद्र प्रताप सिंह अध्यक्ष सेंट्रल बिहार ऑफ कॉमर्स,जीएम डीआईसी,संयुक्त निदेशक कृषि,डीपीओ प्लानिंग, सच्चिदानंद प्रेमी,बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए शिल्पीगण,गया से आगत सभी भाईयो,बहनों,माताओं एवं प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से उपस्थित सभी को धन्यवाद दिया।पिछले 3- 4 वर्षों से लगातार गया में इस तरह का प्रदर्शनी का आयोजन करने के लिए उन्होंने उपेंद्र महारथी संस्थान एवं उद्योग विभाग को धन्यवाद दिया।उन्होंने कहा कि गया में उपलब्ध क्षमता को सम्मानित करने का प्रयास किया है गया एक ऐतिहासिक नगरी है जहां न केवल बोधगया जो ज्ञान स्थली है विष्णुपद जो हिंदू धर्मावलंबी के लिए मोक्ष स्थल माना जाता है इसके साथ ही हमारे असंख्य शिल्पीगण भी गया में है जो चाहे पत्थरकट्टी में हो या बोधगया में वुडन क्राफ्ट करते हो या फिर अन्य हैंडलूम एक्टिविटी मानपुर में थे जो अब धीरे-धीरे पावर लूम में बदल गए हैं और ये सभी जो हमारे शिल्पीगण हैं उनकी वजह से ही गया एक ऐतिहासिक विरासत है और एक कल्चर है जिसकी वजह से ही किसी भी विधा के लिए रचनायक कार्य के लिए काफी स्कोप गया में है यहां पर लोगों का एक टेस्ट है, एक पसंद है जो इन सभी चीजों से उभर कर आगे बढ़ा जाता है और इसी कारण से आज जितने भी प्रदर्शनी लगते हैं उनमें सबसे ज्यादा हमारे शिल्पी गण गया आने के लिए उत्सुक रहते हैं क्योंकि न केवल गयावासी बल्कि बाहर से भी,देश विदेश से भी, जो भी लोग यहां आते हैं,पर्यटक आते हैं उनका भी उनको सानिध्य प्राप्त होता है यह एक विधा है मेरा मानना है यह सबसे पुरानी विधाओं में से एक है विशेषकर स्टोन आर्ट जो सबसे पुरानी विधा है।आज के समय में हम चाहे जितना भी मशीन जनरेटिंग प्रोडक्ट बाजार में उतार लें पर हस्तशिल्प की जो क्वालिटी होती है उसका किसी अन्य क्वालिटी से मुकाबला नही है और इसी वजह से यह और भी आवश्यक है उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प से बने प्रोडक्ट को सही प्लेटफॉर्म दिया जाए और सदियों से जो उनकी यह कला है उसे कैसे सहेज कर आगे ले जाएं यह भी सुनिश्चित करना होगा।उन्होंने कहा कि बौद्ध महोत्सव में भी इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा ताकि देश-विदेश से जो लोग आए हैं वे गया के गांधी मैदान में आकर के इस मेला में शिरकत कर सकें।ईससे यहां के शिल्पी गण का हौसला बुलंद होगा।उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 50 स्टॉल ही लगाया गए थे इस वर्ष 100 स्टॉल लगाए गए हैं जिनमें 50 बिहार सरकार की ओर से एवं 50 वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की ओर से लगाए गए हैं उन्होंने गया वासियों से अनुरोध किया कि अपना अपना समय निकालकर जरूर इन शिल्पीओं के साथ इनका हौसला अफजाई करें।देखने और समझने के लिए यहां पर बहुत चीजें हैं। अंत में उन्होंने सभी आयोजकों को धन्यवाद दिया।updated by gaurav gupta