मऊरानीपुर(झाँसी) – कोचिंग सेन्टरों का कोई भी समय नजर नहीं आ रहा है चाहे दिन हो चाहे रात। इन कोचिंग संचालकों को तो अपने पैसे से मतलब होता है। इन्हें किसी भी बात से कोई मतलब नहीं रहता है ये तो अपनी आय देखते है । सैकडों की संख्या में लडकों और लडकियों को एक साथ पढाते रहते है जिन्हें ये भी पता नही रहता है कि किस बच्चे का क्या नाम है और कौन इसके अभिभावक है और कौन कहाँ का है । इन्हें तो अपनी आय दिखती है। वही इस वर्ष स्कूली कोचिंगें इण्टरमीडिएट के अध्यापक एवं कम्पटीशन की कोचिंग संचालक अपनी काफी दस्तक देते हुये देखे जा रहे है। इस सम्बन्ध में जब कोचिंग संचालकों से जनता यूनियन की टीम मिली और इस सम्बन्ध में मऊरानीपुर सम्वाद्दाता ने कोचिंग संचालकों से कोचिंग के बारे में जानकारी चाही कि बच्चे कोचिंग क्यों पढते है इतना कि क्या स्कूलों में पढाई नही होती है तो इनका कहना रहता है कि स्कूलों में सही से बच्चे समझ नही पाते है। यहाँ उन्हे सही ढंग से सब्जेक्ट की तैयारी करवा दी जाती है। वही कोचिंग पढने वाले छात्र / छात्राओं से मऊरानीपुर सम्वाद्दाता ने कोचिंग पढने के सम्बन्ध में जानकारी चाही तो पता चला कि कोचिंग पढना अनिवार्यता बतायी गयी। बच्चों का पढाई का स्तर कोंचिग का स्तर बिगडना मुख्य चर्चा का विषय बना हुआ है । कोचिंग संचालक माइक्रोफोन आदि जैसे यंत्रों के माध्यम से शिक्षा बच्चों तक बाँट रहे है । इन्हें न ही कोई मानक पता है और न ही इन लोगों की फीस निश्चित है। कुछ कोंचिग संचालकों ने तो अभी तक अपना पंजीकरण नहीं करवाया है । न ही करवाने के रुप में है । इनमें माध्यमिक शिक्षा के अध्यापक भी अपनी भूमिका बनाये हुये है जो एक सरकारी नौकरी का पैसा तो प्राप्त कर ही रहे है । साथ ही अतिरिक्त कोचिंग कमाई भी कर रहे है । विधालय की कोंचिगों के साथ -साथ तैयारियों, कम्पटीशन जैसे रेल्वे, एस. एस.सी.,बैंक , पुलिस जैसे कोचिंग संचालक तो 250-300 बच्चे अपनी कोचिंग में बैठाकर अपनी प्रतिभा जाग्रत कर रहे है । इसमें भी लडकों और लडकियों को भी एक साथ बैठाकर पढाया जा रहा है । वही महिलाओं एवं लडकियों को आज अपने स्तर से चलना होता है वही इन कोचिंग संचालकों को ये नही दिख रहा है । कोचिंग की छुट्टी होने के पश्चात् लडके और लडकियाँ हँसते- खिलखिलाते सडकों पर नजर आते रहते है । कोचिंग के माध्यम से ही बच्चों में भिन्न – भिन्न प्रकार की कमियाँ सामने आने लगती है इनमें अध्यापक कोचिंग खुलेआम चला रहे है न ही इन पर कोई अधिकारी अपनी जाँच कर रहा है । ये विधालयों में बच्चों में जबरदस्ती पास करने की लालच देकर अपने कोचिंग का श्रोत तैयार कर लेते है । इन सभी संचालकों पर कानूनी एवं कोचिंग अधिनियम की कार्यवाही होनी चाहिये जिससे बच्चों को शिक्षा का ज्ञान हो सके और अध्यापक पढाने का ज्ञान कर सके। इस प्रकार की स्थिति से उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। ये है मुख्य रुप से बच्चों की समस्यायें 1. बच्चों से मऊरानीपुर सम्वाद्दाता ने जब बात की तो पता चला कि कोचिंग पढना अनिवार्यता है।2. जो बच्चे कोचिंग नही पढते है उन्हें दबाब बनाया जाता है कि कोचिंग पढो नही तो फैल कर दिया जायेगा।3. बच्चों से कोचिंग का अतिरिक्त शुल्क 400 से 1000 रुपये महीना तक लिया जा रहा है।4. बच्चों की स्थिति कोचिंग पढने की हो या न हो साथ ही इनके अभिभावकों के पढाने की हो चाहे न हो लेकिन कोचिंग पढना अनिवार्यता बतायी गयी।5. कोचिंग में बच्चों का कहना है कि 200 से 250 बच्चे एक बैच में पढाये जा रहे है। जिससे कोचिंग का पैसा जबरदस्ती से अध्यापकों द्वारा लूटा जा रहा है।6. बच्चों के अनुसार बैच में अत्यधिक बच्चे होने से टीचर लोग माईक्रोफोन आदि यंत्रों की सहायता से शिक्षा का ज्ञान बाँट रहे है।7. बच्चों का कहना है कि कोचिंग का समय कोई भी नही रहता है चाहे सुबह हो चाहे रात कोचिंग पढने जाना पढता है।ये है मुख्यरुप से अभिभावकों की समस्यायेंअभिभावकों से मऊरानीपुर सम्वाद्दाता ने घर- घर जाकर सर्वेक्षण में जानकारी चाही तो जानकारी में आया कि हम लोगों को अपनी आय का 75 प्रतिशत से भी अधिक पैसे बच्चों की शिक्षा में व्यय कर रहे की नही तो हमारे बच्चे शिक्षा ग्रहण नही कर सकते है।अभिभावकों के अनुसार उनका कहना है कि प्राईवेट स्कूल हो या सरकारी स्कूल बच्चों को कोचिंग पढना अनिवार्यता है नही तो अध्यापकों का फैल करने का दबाब बच्चों पर रहता है। बच्चों का शिक्षा का स्तर कोचिंग का हो गया एकदम फैल अध्यापक उडा रहे मौज मस्ती और कर रहे जेब गर्म। अभिभावकों का कहना है कि प्राईवेट अध्यापकों के साथ नगर में माध्यमिक सरकारी अध्यापक जो सरकार का पैसा भी लेते हुये खुलेआम कोचिंगें संचालित कर रहे है।इनका कहना हैजब मऊरानीपुर सम्वाद्दाता नगर के कोचिंग संचालकों के कोचिंग के स्थानों पर पहुँचें तो कोचिंग संचालक अचेत अवस्था में पड गये। कारण कि वह खुलेआम माइक्राफोन से कोचिंग पढाते हुये 200 से 250 की संख्या में बैच लगाये हुये कमरे की क्षमता से भी अधिक बच्चों को कोचिंग में पढाते हुये दिखलायी दिये। जब उनसे कोचिंग के बारे में जानकारी चाही तो उनका कहना था कि बच्चे स्कूल में सही से नही समझ पाते है तो उन्हें इसलिये कोचिंग पढना पढता है। जब कोचिंग संचालकों से रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी चाही तो ये कोचिंग अध्यापक भडकते हुये नजर आये कारण कि बिना रजिस्ट्रेशनों की खुलेआम धड्डले से चल रही कोचिंगों से इनकी आय लम्बी चौडी जेब गर्म कर रही है।वही मऊरानीपर सम्वाद्दाता ने नगर में माध्यमिक सरकारी अध्यापकों के घर पहुँचकर कोचिंग के बारे में जानकारी चाही तो कोचिंग अध्यापक अपने हाथ खडे करे देखे गये उनका कहना रहा कि हम लोग कोचिंग नही पढाते है कोचिंग तो प्राईवेट अध्यापक ही पढाते है। जबकि सरकारी अध्यापक भी कोचिंग नगर में धड्डले से पढा रहे है।वही कम्पटीशन कोचिंग संचालकों से उनके कोचिंग के स्थानों पर जानकारी ली तो पता चला कि आजकल कम्पटीशन का ही जमाना है इसलिये बैच में काफी भीड है और हम लोग घर- घर बुलाने तो जा नही रहे बच्चे स्वयं ही हमारे पास पढने आ रहे। अन्त में जब उन्हें अनुभवी आँखें न्यूज मऊरानीपुर सम्वाद्दाता का परिचय दिया गया तो उनके रोम -रोम खडे होते देखे गये फिर उनका जबाब सबाब एकदम परिवर्तित भाषा में आया कि बेरोजगारी अत्यधिक होने से कम्पटीशन की तैयारी बच्चे करते है। रिपोर्ट_सौरभ भार्गव अनुभवी आँखें न्यूज मऊरानीपुर ।, updated by gaurav gupta

loading...