देवघर झारखंड – देवघर के आरएन बोस लाइब्रेरी में चल रहे पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य उत्सव 2019 का समापन हो गया, कार्यक्रम के अंतिम दिन बिदेसिया में पलायन की पीड़ा व स्त्री का बड़प्पन और थाने की कहानी दिखाया गया,
वही थाने की एक रात नाटक के माध्यम से पुलिस की कार्यशैली व थाने के अंदर टोटका के बारे में बताया गया, इसमें दिखाया गया है कि कैसे स्टेशन डायरी व एफआइआर रजिस्टर के सटने व सिपाही के हाथ डंडा गिरने से अपशकुन होता है, यही नही इसके चलते थानेदार से लेकर एसपी तक के तबादले की कहानी व आम जनता के साथ कैसे पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं होता है तथा थाने में न्याय पाने के लिए पैसे का चढ़ावा का खेल आदि को दिखाया गया, नाटक के बाद एक दृश्य में दिखाया जाता है कि अज्ञात लाश मिलने से कैसे पुलिस वाले उसे दुसरे थाने की ओर फेंक कर मामला अपने माथे से हटाना चाहते हैं, थाने में चौकीदार ने एक थानेदार को कहा कि हुजूर नदी किनारे एक लाश है, तो थानेदार व मुंशी ने लाश को पानी में बहा देने की बात कही, थानेदार को सारे सामान को जैसे ही दिखाता है, तभी थानेदार माथे पर हाथ देकर रोते हुए बोलता है, अरे बाप रे बाप ये तो मेरे बाबू जी थे, ये तुने क्या कर दिया, इस नाटक के माध्यम से पुलिस को ये संदेश दिया गया कि जो दूसरे के साथ जो व्यवहार करेंगे वह एक दिन आपके साथ भी हो सकता है। थाने की एक रात के कलाकार का नाम इस प्रकार थे। जितेंद्र वादरे, शैलेंद्र सागर, राजू चंद्रक़, पुजा कुमारी, सन्नी रंजन सिंह, शुभांकर, रोहित कुमार रोनक, ज्योति प्रकाश, रवि राव अबेडकर, प्रियांशु राज आदि मौजूद थे। देवघर झारखंड से कैमरा मेन अविनास वर्मा के साथ अजित संतोषी की रिपोर्ट