आज के समय में ज़्यदा से ज़्यदा लोग डायबिटीज़ की बीमारी का शिकार बने हुए है | लोग इस बीमारी से इतना परेशान है की कभी – कभी अपनी इच्छाओ को भी दबा लेते है | डायबिटीज़ एक वातज विकार है | इस रोग से ग्रस्त लोगों में वजन के निरंतर कम होने तथा चिंता और अवसाद से ग्रस्त होने जैसे लक्षण देखने को मिलते है |  ऐसी स्थिति में रोगी को वात को संतुलित करने वाले खाद्य ,जैसे – डेयरी उत्पाद , उबली हुई सब्जियां , सख्त छिलके वाले फल आदि का सेवन और पर्याप्त मात्रा में व्ययाम करना चाहिए | डायबिटीज़ की बीमारी को ध्यान में रखते हुए इसे नियंत्रित करने के कुछ आयुर्बेदिक उपाय बताये गए है , जिसे उपयोग करने से डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है | मधुर संगीत ,एरोमा थेरापी , मालिश तथा योगासन भी जरुरी है
*टाइप -1 डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध हो सकते है |
*टाइप -2 डायबिटीज़ चूंकी कफज व्याधि है , अतः कटु , तिक्त और कषाय स्वाद वाले खाद का सेवन करना हितकर है | यदि उचित अनुपात में इनका सेवन किया जाए तो इनसे रक्त -शर्कर के रक्त में कमी आती है , और पाचन क्रिया दुरुस्त होती है | नीम और मेहाश्रृंगी जैसे आयुर्वेदिक जडियां भी शर्करा को खपाने में सहायक सिद्ध होती है | इन प्रकृतिक उपायों को अपनाने वाले डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों को अपने रक्त -शर्कर के स्तर की निरंतर जांच करते रहना चाहिए |तथा अपने चिकित्सक से सलाह लेकर डायबिटीज़ की दवाओं और इन उपायों में उचित तालमेल बिठाना चाहिए |’अनुभवी आँखे न्यूज़ हेल्थ डेस्क’ |(स्रोत : अनुभवी हेल्थ प्रॉब्लम्स हिंदी पत्रिका )

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