झांसी। नगर में चल रही रामकथा में जुट रही सैकडों की भीडकथा व्यास- शशिशेखर दुबे (9 वर्ष) एवं वैष्णवी दुबे (8 वर्ष)मऊरानीपुर (झाँसी) साहू क्लब मऊरानीपुर द्वारा श्री रामचरित मानस कथा ओमरे जी के मन्दिर लाल बाजार मऊरानीपुर में करायी जा रही है। जिसके कथा वाचक शशिशेखर दुबे (उम्र 9 वर्ष) एवं सुश्री वैष्णवी दुबे (उम्र 8 वर्ष) है। यह कथा 12 अगस्त तक चलेगी। यह प्रतिदिन शाम 7 बजे से 9.30 तक चल रही है। जिनके कथा व्यासों की रामकथा सुनने के लिये सैकडों की संख्या में महिलायें एवं पुरुषों की भीड एकत्र देखी जा रही है। रामकथा सुनने के लिये भक्तों की भीड शाम से ही आमेरे मन्दिर में जुटने लगती है। कारण कि ये दोनों कथा व्यास भगवान के ही अवतार देखे जा रहे है। ये दोनों भाई – बहिन कथा व्यास के रुप में मऊरानीपुर नगरी में चर्चा का विषय बने हुये है कि ये बच्चे कितने विद्वान व्यक्तियों में अपनी छवि बनाये हुये है। इनकी विद्वानता भगवान का उपहार है इनके लिये ये विद्वानता एक उपहार की भाँति देखी जा रही है जो नगर मऊरानीपुर के साथ ग्रामवासी भी इनकी कथा सुनने के लिये नगर के मन्दिर में देखे जा रहे है। जबकि मन्दिर में स्थान सीमित होने से लोगों को मन्दिर के बाहर भी कथा सुनने के लिये बैठना पडता है। इसी के चलते साहू क्लब द्वारा माईक का भी इंतजाम करवाया गया है। जिससे लोग बाहर बैठकर भी रामकथा का भरपूर आनन्द ले रहे है और कथा व्यासों की नगर में काफी तारीफ चल रही है। इन कथा व्यासों की चर्चायें सुबह से ही शाम तक इन भक्ति सागर के व्यक्तियों की ही सुनायी देती है। कथा व्यास ने रामकथा के बारे में बताते हुये कहा कि किसी ने रामायण बनायी किसी ने महाभारत बनायी किसी ने रामचरित्र मानस
बनायी। रामायण का मतलब राम जी का घर है। रामचरित्र मानस जिसमें भगवान राम का चरित्र रुप बताया गया। आदि जिनको उन्होने बताया कि जिन्हें अपना मन पवित्र करना है वो मन्दिर जाये रामजी का मन्दिर जिसमें राम जी विराजमान है मैने मानसरोवर बनाया। उन्होने कहा कि इन दोनों में अन्तर मन्दिर में पवित्र होकर जाना पडता है और मानसरोवर में पवित्र होने जाना पडता है। वही इस मौके पर साहू क्लब से जयप्रकाश साहू (पप्पू साहू), हीरा लाल साहू, पुष्पेन्द्र साहू, पवन साहू, शैंकी साहू, भूपेन्द्र साहू, नीरज साहू, सौरभ साहू के साथ सैकडों महिलायें व पुरुष श्रीरामकथा में शामिल देखे जा रहे है। रिपोर्ट_सौरभ भार्गव क्राइम रिपोर्टर मऊरानीपुर (झाँसी) ।