गया(संवावदाता धीरज गुप्ता) – १५० वें गांधी जयंती के अवसर पर कारागृह को सुधार गृह मानने का गांधी जी की धारणा को साकार करने के उद्देश्य से आज अच्छे आचरण वाले चार कैदी, जो निकट

भविष्य में छूटने वाले थे, को आज रिहा किया गया।गांधी जी के विचारों,आदर्शों एवं सिद्धांतों को सम्मान देने की यह नई परंपरा की शुरुआत सरकार द्वारा आज से की गयी है इस अवसर पर केंद्रीय कारा में आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम गांधी जी की तस्वीर पर जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री राजीव मिश्रा,एआईजी श्री राजीव झा, मुख्य अतिथि श्री

सच्चिदानंद प्रेमी द्वारा माल्यार्पण किया गया तथा जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।इस अवसर पर जिलाधिकारी ने संबोधित करते हुए छुटने वाले चारों कैदियों को अच्छे नागरिक बन कर एक उदाहरण पेश करने को कहा है उन्होंने ने कैदियों को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक विचारधारा का नाम है उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के हर पहलू पर उनके विचारधारा का प्रभाव है उनके द्वारा जिस समाज की परिकल्पना की गयी उसमें संयम एवं अनुशासन प्रमुख है जिसका वे खुद अनुसरण करते थे एवं अपने से एवं अपने आश्रम से जुड़े लोगों से भी करवाते थे उन्होंने ब्रिटिश जैसे शक्तिशाली साम्राज्य को अपने अनुशासन,संयम एवं मूल्यों के बल पर यहाँ से हटा दिए और यह हमलोगो को समझना होगा और उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया है अगर उनमें से १०% का भी हम अनुसरण करें तो हम सबके जीवन को बदल सकते हैं और एक नया आयाम बना सकते हैं और उन्होंने कहा कि गांधी जी का मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान ईर्ष्या और द्वेष से नहीं हो सकता है क्षमा सबसे बड़ी चीज है क्षमा से भी बड़ी बात यह है कि जिस व्यक्ति से हमारा द्वेष है उसको हम अपने प्रति प्रेम और करुणा की भावना उत्पन्न कर सकें एवम उन्होंने कहा कि ब्रिटिश यहां से जाने के बाद भी गांधी जी को हमसे ज्यादा आदर एवं सम्मान देता है गांधी जी ने उनको दिखाया कि २०० वर्षों तक तुमने हम पर शासन किया, अत्याचार किया,लेकिन हमें तुमसे कोई द्वेष नहीं है हम तुमसे बदला नहीं लेना चाहते और हम केवल चाहते हैं कि आजादी हमारा अधिकार है और हम इसे सत्य,अहिंसा और सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर प्राप्त करेंगे। एक दिन तुम्हें झुकना पड़ेगा और यह मानना पड़ेगा कि हम जो कर रहे हैं वह सही है और तुम जो कर रहे हो वह गलत है और जिस दिन तुम्हे यह एहसास होगा कि तुम गलत हो तो तुम स्वयं यह देश छोड़कर चले जाओगे और उन्होंने कहा कि हम सबके जीवन में बहुत से विकल्प आते हैं क्षणिक सुख एवं क्षणिक लाभ का एक शॉर्टकट रास्ता है जिसमें समय कम लगता है लेकिन नियमों एवं मूल्य की अवहेलना होती है दूसरा रास्ता लंबा होता है जो नियमों,आदर्शों एवं मूल्यों पर आधारित होता है जिसपर चलकर एक अच्छा नागरिक बनकर देश निर्माण और समाज निर्माण करने की प्रेरणा मिलती है उन्होंने कहा कि हमे गांधीजी द्वारा दिखाए गए सत्य,अहिंसा और प्रेम के रास्ते पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।उन्होंने कैदियों को कहा कि हम सभी भारत के नागरिक हैं,चाहे चारदीवारी के बाहर हो या चारदीवारी के अंदर हो और सब की कुछ जिम्मेदारियां हैं चाहे वह जिस स्थिति में हो और यदि वह व्यक्ति संकल्प करे कि हमें बेहतर जिंदगी जीना है तो वह व्यक्ति देश निर्माण एवं समाज निर्माण में सहयोग दे सकता है इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री सच्चिदानंद प्रेमी, एआईजी श्री राजीव झा ने भी कैदियों को संबोधित किया। जिन चारों कैदियों को छोड़ा गया उनका नाम नेहाल आलम,गोलू राय,धर्मेंद्र उराओ तथा अरविंद कुमार है।updated by gaurav gupta

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