बोस्टन : मानवीय गतिविधियों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से चावल, गेहूं और अन्य मुख्य अनाज की पोषकता में कमी आने के कारण वर्ष 2050 तक भारत में 5 करोड़ 30 लाख लोगों में प्रोटीन की कमी होने का खतरा पैदा हो सकता है.
अमेरिका में हावर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार, अगर कॉर्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो वर्ष 2050 तक 18 देशों की आबादी के भोजन में पांच फीसदी से ज्यादा प्रोटीन की कमी हो सकती है.
वातावरण में सीओ2 के बढ़ते स्तर के कारण 15 करोड़ अतिरिक्त लोगों में प्रोटीन की कमी का खतरा पैदा हो सकता है. इस खतरे की गणना करने वाला यह पहला अध्ययन है.
हावर्ड में वरिष्ठ शोधकर्ता सैमुअल मायर्स ने कहा, ‘यह अध्ययन खतरे से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों के लिए इस बात पर जोर देता है कि वे अपनी आबादी की पोषण की पर्याप्तता की निगरानी करें और मानवीय गतिविधियों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर लगाम लगाए.’ एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वैश्विक तौर पर 76 फीसदी आबादी अपनी दैनिक प्रोटीन की जरुरतें पौधों से पूरी करती है.