जयपुर: भड़ला में देश का सबसे बड़ा सोलर पार्क बनाने के बाद राजस्थान अब सौर ऊर्जा छतों से बिजली बनाने की मुहिम चला रहा है. लक्ष्य है कि अगले पांच साल में  छतों से 2300 MW (मेगावॉट) बिजली का उत्पादन हो. यह काफी चुनौती भरा टारगेट है लेकिन सरकार ने शुरुआत कर दी है.

600 से अधिक छतों से अब राज्य 88  MW बिजली का उत्पादन कर रहा है. घरों में सोलर पैनल लगाने के लिए 30 % तक की सब्सिडी भी है.  एक मध्यम  वर्गीय  घर को 5 से 8  किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाना पड़ता है. इसकी लागत है करीब पांच लाख रुपये. सरकार इसके लिए रियायती दरों पर लोन भी देती है.

पवन चौहान जयपुर बिजली निगम के पहले ऐसे ग्राहक हैं जिन्होंने अपना बिजली बिल शून्य कर लिया है. पांच कमरे के मकान में वे फ्रिज, 2 एसी, पंखा… सब चलाते हैं.  लेकिन अब बिजली का पैसा उनके घर के छत पर लगे सोलर पैनल बचा देते हैं.  छत पर सोलर पेनल लगाने के बाद यहां बन रही सौर ऊर्जा वापस बिजली के ग्रिड में जाती है. इस बार पवन चौहान ने 325 यूनिट बिजली इस्तेमाल की बाकी 727 यूनिट बिजली ग्रिड में गई और उनके बिल से वह पैसा घट गया. चौहान ने कहा कि “इस सिस्टम से मेरा बिल तो शून्य हो ही गया लेकिन मैं एक बिजली उत्पादक भी बन गया हूं. मेरे सिस्टम से जो बिजली बचती है वह मैं वापस ग्रिड को देता हूं. मैं एक्सपोर्टर भी हूं.”

राज्य में 400 से ज्यादा घरेलू ग्राहक हैं जिन्होंने अपनी छतों पर सोलर पेनल लगाए हैं. अब राज्य में 88  MW बिजली छतों से ग्रिड में आ रही है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खुद अपने घर को पूरी तरह से सोलर कर लिया है, जहां 180 यूनिट बिजली बनाने की क्षमता है.  मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने NDTV को बताया कि “देखिए  यह बात काफी आसान है. आप बिजली का उत्पादन करो, उसको ग्रिड में डालो और अपने बिल से घटा लो. हम लोगों को इस तरह से समझाते हैं. मैंने खुद अपने घर में सोलर सिस्टम लगा लिया है. अगर मैं कर सकती हूं तो आप सब क्यों नहीं?”

सौर ऊर्जा पैदा करने की मुहिम सिर्फ शहर ही नहीं गांव तक भी पहुंची है. 25000 ग्रामीण घर, 91 गांव और 199 ढाणियां ऐसी हैं जहां 5 बल्ब, एक पंखा और एक मोबाइल चार्ज करने का पॉइंट सौर ऊर्जा से चलता है.

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