बिहार(संवाददाता धीरज गुप्ता) – गया में बेहतर पोषण प्राप्त करना सभी का समान अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार राज्य के लोगों को बेहतर पोषण प्रदान कराना राज्य की प्राथमिक ज़िम्मेदारी भी है इसको लेकर राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं भी चलायी जा रही है सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी कुपोषण को ख़त्म करने की कई चुनौतियाँ सामने आती रही है इसको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कुपोषण से लड़ने के लिए मार्च 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की गयी और साथ ही अभियान के तहत वर्ष 2022 तक 6 साल की आयु के बच्चों में कुपोषण का स्तर 38.4 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है
श्वेता सहाय सहायक निदेशक आईसीडीएस ने बताया कि पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य पोषण अभियान को जन-आंदोलन बनाना है ताकि समाज का प्रत्येक वर्ग पोषण की जरूरत को समझ सके एवं पोषण अभियान के तहत ही सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में बनाया जा रहा है और इस पोषण माह में आम लोगों को पोषण पर जागरूक करने के लिए सामुदायिक स्तर पर आयोजित होने वाली गतिविधियों पर ज़ोर दिया जा रहा है महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पोषण त्योहार से व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण के पाँच सूत्र दिये गए हैं जिसमें पहले सुनहरे 1000 दिन,पौष्टिक आहार,अनीमिया प्रबंधन,डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है।
*अंतर्विभागीय सहभागिता से बेहतर पोषण बहाल* पोषण अभियान को सफल बनाने के लिए अंतर्विभागीय सहभागिता पर ज़ोर दिया गया है बिहार सरकार द्वारा पोषण अभियान को लेकर जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार विभिन्न विभागों के लगभग 22 लाख क्षेत्रीय कर्मियों की पहुँच लगभग 2.25 करोड़ घरों तक होती है जिसमें स्वास्थ्य विभाग एएनएम, आशा, आशा पर्यवेक्षक, ममता एवं सलाहकार के 1.06 लाख, आईसीडीएस आँगनवाड़ी कार्यकर्ता के 91677, ग्रामीण विकास विभाग स्वयं सहायता समूह एवं जीविका कार्यकर्ता के 8.16 लाख, शिक्षा विभाग स्कूल शिक्षक एवं शिक्षा सेवी के 4.97 लाख , यूथ कल्चर एवं स्पोर्ट्स विभाग नेहरू युवा केंद्र सदस्य के 6.72 लाख , महादलित विभाग विकास मित्र के 9150 एवं पंचायती राज वर्ड सदस्य एवं मुखिया के 19786 कर्मी पोषण अभियान को जन-आंदोलन में तबदील करने में सहयोग कर रहे हैं।
*पाँच सूत्रों से कुपोषण पर लगाम* कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पाँच सूत्र बताए गए हैं जो-
*पहले सुनहरे 1000 दिन* पहले 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से 2 साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल है इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य,पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है।
*पौष्टिक आहार:* शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और अगले 6 माह तक केवल माँ का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है एवं 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है एवं इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है एवं घर का बना मसला एवं गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है
*अनीमिया प्रबंधन* गर्भवती माता, किशोरियाँ एवं बच्चों में अनीमिया की रोकथाम जरूरी है एवं गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को सप्ताह में सरकार द्वारा दी जाने वाली आयरन की एक नीली गोली का सेवन करना चाहिए और 6 माह से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार 1 मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए।
*डायरिया प्रबंधन*: शिशुओं में डायरिया शिशु मृत्यु का कारण भी बनता हैं और 6 माह तक के बच्चों के लिए केवल स्तनपान ऊपर से कुछ भी नही डायरिया से बचाव करता है। साफ-सफाई एवं स्वच्छ भोजन डायरिया से बचाव करता है। डायरिया होने पर लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिन तक जिंक देना चाहिए।
*स्वच्छता एवं साफ-सफाई*- गया आईसीड्स कार्यक्रम पदाधिकारी किशलय शर्मा ने बतया की साफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है एवं शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए एवं घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए और इससे कई रोगों से बचा जा सकता है। updated by gaurav gupta

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