सोनबरसा पुलिस सवालों के घेरे में।
राज आर्यन गुड्डू@।महुआ बाजार। सहरसा। – डायन होने के आरोप में सोनवर्षा में एक विधवा महिला को मारपीट के साथ मानव मैला पिलाये जाने के मामले मे स्थानीय थाना पुलिस ने सरपंच की भूमिका में पीडिता के घर पहुंच कर बुधवार की रात 12 के करीब सुलहनामे पर दस्तखत करवा कर मामले को रफा दफा करवा दिया।
गुरुवार को पीडिता ने कहा कि बुधवार रात के अंधेरे में अपने गांव मनौरी से सोनबरसा स्थित आरा मिल लौटी थी। की रात्रि करीब 11 बजे स्थानीय थाना के सअनि व पुअनि अविनिश कुमार तथा बिनोद चौधरी सोनबरसा स्थित आरा मिल पहुंचे। पुलिस के पहुंचने की जानकारी मिलते ही आरोपी पक्ष के भी दर्जनों लोग पीडिता के घर पहुंच गए।चौतरफा दबाव के आगे आखिरकार विधवा पीडिता को झुकना ही पडा़।सुलहनामे पर अंकित तिथि 17 जून की ही डाली गई जिस दिन महिला के साथ घटना को अंजाम दिया गया था।घटना व सुलहनामे की तिथि एक समान डालकर ये साबित करने का प्रयास किया गया मामला घटना के दिन ही समाप्त हो गया था।
पूरे घटनाक्रम में स्थानीय थाना पुलिस की भूमिका घटना के दिन से ही आरोपियों के पक्ष मे नजर आया।क्योंकि स्थानीय लोगों के दबाव के बावजूद पीडिता ने सुलह से जब इंकार कर दिया तब बुधवार आधी रात को पिडिता के घर पहुंच स्थानीय थाना पुलिस ने अपने पुलिसिया दबाव पर पीडिता से सुलहनामे पर दस्तखत करवा लिया।जो हो सुलहनामा पर दस्तखत करवाने से ही ये साबित हो गया पिडिता को शारिरिक व मानसिक रुप से आरोपियों द्वारा प्रताड़ित किया गया था। लेकिन सवाल यह भी है कि आखिरकार ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि पुलिस प्रशासन द्वारा घटना के दिन से ही पीड़िता को आरोपियों से सूलह कर लेने के लिए दबाब बनाती रही।
बताते चलें कि विधवा महिला के पड़ोसी पिता पुत्र रतन विश्वास व रणविजय विश्वास ने गत सोमवार की सुबह पीड़िता के घर पहुँचकर उसपर डायन होने का आरोप लगाते हुए पिडिता का बाल पकड़ कर घसीटते हुए अपने घर ले गया तथा गाली गलौज करते हुए रणविजय विश्वास ने गिलास में मैला घोलकर पीडिता को जबरन पिला दिया। साथ ही मारपीट करते हुए कैंची से सर का बाल काट दिया था। जिसके बाद पीड़िता द्वारा घटना दिन अर्थात सोमवार के शाम ही स्थानीय थाने में पहुँच लिखित आवेदन देकर आरोपियों के विरुद्ध कानूनी कारवाई अथवा इच्छा मृत्यु के आदेश देने की गुहार लगाई थी। लेकिन पुलिस ने आरोपियों पर कार्यवाही की जगह मामले की लीपापोती मे ही रुचि दिखाया। updated by gaurav gupta