डायरिया,निमोनिया व कुपोषण से बचाता है मां का दूध*

धीरज गुप्ता,रमेश कुमार की रिपोर्ट गया बिहार

गया के बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास में स्तनपान की भूमिका अहम होती है एवं शिशु के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ ही उसका मौलिक अधिकार भी है स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा और ‘बेहतर आज और कल के लिए- माता-पिता को जागरूक करें, स्तनपान को बढ़ावा दें’ को इस बार के विश्व स्तनपान दिवस की थीम बनायी गयी है गंभीर रोगों से बचाव: माँ का दूध जहाँ शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता है वहीँ उसे डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बिमारियों से बचाता भी है जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है और छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है और लैंसेट की 2015 की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है की अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है जिन्हें माँ का दूध थोड़े समय के लिए मिलता है और इसके अलावा स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है

जिले की मण्डल में स्थिति : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के आँकड़ों के अनुसार बच्चे के जन्म के एक घण्टे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध गया में 29 प्रतिशत,नवादा में 42.6 प्रतिशत,औरंगाबाद में 42.8 प्रतिशत एवं जहानाबाद जिले में 50 प्रतिशत बच्चे ही पी पाते हैं जबकि गया में 28.4 प्रतिशत, नवादा में 32.8 प्रतिशत,औरंगाबाद में 51.9प्रतिशत एवं जहानाबाद जिले में 35.9 प्रतिशत बच्चों को जन्म से लेकर 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है माता-पिता की जागरूकता है जरूरी: इस साल के विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए माता के साथ पिता की जागरूकता पर बल दिया गया है एवं स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों का सशक्तिकरण एक गतिविधि नहीं है बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय अवश्य प्रदान की जानी चाहिए। माँ बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान तभी कराती हैं जब उसे एक सक्षम माहौल और पिता, परिवार के साथ समुदायों से आवश्यक सहयोग प्राप्त होता है

शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी के लिए आवश्यक है:

 जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारम्भ किया जाए

 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए( ऊपर से पानी भी नहीं)

 शिशु के 6 माह पूर्ण होने के तुरंत बाद अनुपूरक आहार देना शुरू किया जाए एवं कम से कम शिशु के 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखा जाए

स्तनपान के विषय में आम जागरूकता है अहम है जिला सिविल सर्जन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने बताया बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए स्तनपान बहुत जरूरी होता है इस पर सामुदायिक जागरूकता के लिए जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा और इस दौरान स्वास्थ्य केन्द्रों पर स्तनपान के लिए सामुदायिक जागरूकता के लिए गतिविधियाँ चलायी जाएंगी और साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों की स्तनपान पर क्षमता वर्धन एवं स्तनपान नीति को स्थापित करने वाले चिन्हित स्वास्थ्य केन्द्रों को सम्मानित करने के साथ स्वास्थ्य केन्द्रों पर स्तनपान का सुदृढीकरण किया जाएगा। updated by gaurav gupta

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