दुमका/झारखंड(संवाददाता सुरेंद्र कुमार) – बिपद तारिणी पूजन आषाढ शुकल पक्ष के मंगलवार , शनिवार को काली या दुगाॅ मंदिर मे सामुहिक तौर पर मनाया जाता है । विपद तारिणी कथा का श्रवण करने का विधान है। कथा है कि विदभॅ की रानी पर आई विपती से रक्षा विपत तारिणी देवी माता ने किया । एक बार विदभॅ राजय की रानी गौ मांस देखना चाहा जिसे दासी ने महल तक ले आयी । इसकी जानकारी राजा को हो जाने पर सचाई साबित होने पर रानी को मिरतीयु दंड को सजा घोषित हो गयी। इसके बाद रानी ने विपद तारिणी देवी माता से इस बिपती से रक्षा की पाथॅना किया। जब जांच के तहत पात्र से कपडा हटाया गया तो फूल निकला। इस तरह रानी की पराण रक्षा विपद तारिणी माता ने किया । तभी से आज तक विपद तारिणी देवी माता का पूजन चलता आ रहा है और इस मौके पर महिलाऐ एक दूसरे को सिंदूर लगा खुशियां मनाती है।
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