दोस्तो, भारी मन से यह पोस्ट कर रहा हूं। किशोरकांत तिवारी किसी परिचय का मोहताज नहीं था। अविवाहित किशोर कम उम्र में रोटी बैंक की स्थापना कर जग में जो ख्याति प्राप्त किया वह कोई विरले ही कर पाते हैं। अभी मानो कल की ही बात हो विश्वास ही नहीं हो रहा है। कार्य की व्यस्तता के कारण कम ही लेकिन मुकम्मल बात होती थी। 8 अप्रैल को जब वह अस्पताल में भर्ती थे व्हाट्सएप चैट व बात हुई ।मैने आश्वासन दिया कि ईश्वर तुम्हारे जैसे के साथ अहित नहीं कर सकता है। महाकाल के नगरी में दरिद्रनारायण की सेवा और धीरे-धीरे इतनी बडे पैमाने पर। 8 अप्रैल को मैने कहा था कि आप स्वस्थ हो जाएंगे पर वह अब नहीं है। हम सबको छोड़ कर चले गए। पिछले साल मैने उन्हें कोरोना योद्धा सर्टिफिकेट से सम्मानित किया था और इस साल वह नही रहें। हे भगवान यह क्या हो रहा है। लाखों भूखे को भोजन देना क्या गुनाह है जो मौत का दंड मिला। आज किशोर के नंबर पर डरते डरते डरते मैने फोन किया, उसकी मां ने फोन उठायी । बातों-बातों में बताई उसकी शादी लगा दी थी। सब खत्म। खूब रो रही थी। कैसे ढाढस और क्या कह कर दूं समझ नहीं आया। तेरहवीं हो गया। क्या सब उन्हें भूल जाएंगे। वह आजीवन सबके दिलों में रहेंगे। उनकी जगाई अलख उनके चाहनेवाले यूं ही आगे बढ़ाते रहेंगे। अब यह कारवां नहीं रुकने वाला। बहुत लिखना चाहता हूँ। अंतहीन। हे भगवान क्या ऐसे युवा पीढ़ी को क्या इस तरह के ईनाम आप देते हो। कैसे उनकी मां के बहते आंसू को पोंछ सकता हूं। वह फोन पर रोती रही और मै बेबस सुनता रहा। किशोर मुझे बड़ा भाई मानता था। आज छोटे भाई से बिछड़ने का गम मुझे डरा रहा है कि क्या सच में कलियुग का कहर है या इस युग के अंत की शुरुआत। अगर आप किशोर के साथ हैं तो सब दो शब्द लिखें जरूर। ईश्वर उनके चाहने वाले को संबल दे। – संतोष गुप्ता संपादक अनुभवीआँखें न्यूज

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