बिहार – उन्होंने कहा(सुभाषिनी शरद यादव)मैंने कल विरोध प्रदर्शनों की जगह का दौरा किया जहां किसान अपनी मांगों के लिए कृषि सुधारों के नाम पर सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को निरस्त करने के लिए एकत्र हुए हैं। मैंने उनके साथ बातचीत करते हुए उन्हें बहुत मजबूत और बहादुर देखा है। वे सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा करवाए बिहार पीछे नहीं हटेंगे। वह विभिन्न समूहों में बैठे हुए हैं और उन्हें सुनने के दौरान मैंने यह भी पाया कि उनकी मांगें वास्तविक हैं और देश के हित में हैं। यह दर्शाता है कि सरकार अनावश्यक रूप से मुद्दों को लंबा कर रही है और किसानों को अनुचित दर्द दे रही है क्योंकि उन्हें इस सर्द मौसम में बैठने के लिए मजबूर किया गया है।मैं किसान के परिवार से हूं और मुझे पता है कि खेती करना लाभदायक भी नहीं है और किसान को प्रकृति पर निर्भर रहना होता है मगर फिर भी हम को अन्न देने के लिए रात दिन किसान मेहनत करता है। किसानों के प्रति सरकार का रवैया उनके साथ सहकारी और सहायक नहीं है। इन कानूनों को लाने और उन्हें जल्दबाजी में पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। यह किसानों के जख्मों पर नमक डालने जैसा है। वे देश को पर्याप्त खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए किसी न किसी तरह से प्रबंध करते रहे हैं। हमारे देश के किसी भी राज्य में किसानों की स्थिति अन्य देशों की तुलना में उत्साहजनक नहीं है, जैसे कि अमरीका और यूरोप और इसीलिए अन्य देशों के कुछ किसान भी हमारी किसानों की मांगों के समर्थन में आए हैं।यहां यह उल्लेख करना उचित है कि सरकार को बड़े कॉर्पोरेट घरानों का समर्थन करने के बजाय किसानों का समर्थन करना चाहिए। मैंने कई किसानों से व्यक्तिगत रूप से भी मुलाकात की और उनका विचार जाना कि इन कानूनों को केवल बड़े कॉर्पोरेट घरानों की मदद के लिए लाया गया है अन्यथा सरकार को इन कानूनों के माध्यम से सदियों पुराना कृषि उपज बाजार समिति की पुरानी मंडी व्यवस्था को तोड़ने की क्या जरूरत थी। ए पी एम सी की विनियमित मंडियों में किसानों की रक्षा और सुविधा होती है और वे इससे खुश हैं और सरकार उनकी बची हुई खुशियों को खत्म करना चाहती है। सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित हो कि किसानों को उनकी फसल का M.S.P. हर राज्य में मिलेगा। सरकार से अपील करती हूं कि किसानों के कल्याण में नए कृषि कानूनों को निरस्त करने का तत्काल निर्णय ले, ताकि किसानों का आंदोलन खत्म हो सके और वे अपने घर लौट जाएं। रिपोर्ट – चंचल कुमार, updated by gaurav gupta 

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