पूर्णियाँ – सहयोग अध्यक्ष डॉ अजीत प्रसाद सिंह के द्वारा सहयोग प्रांगण आकाशवाणी रोड पूर्णिया में स्वामी विवेकानंद जी के पुण्यतिथि के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया इस अवसर पर डॉ अजीत प्रसाद सिंह ने स्वामी विवेकानंद जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया एवं उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा स्वामी विवेकानंद जी अपनी तेजस्वी वाणी के जरिए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था एवं निधन 4 जुलाई 1902 पश्चिम बंगाल के बेलूर मठ में  ध्यान-मुद्रा में निधन हो गया था, तब उनकी उम्र 39 वर्ष थी. स्वामी विवेकानंद के शिष्यों ने कहा था कि उन्होंने महासमाधि की अवस्था को प्राप्त कर लिया है. स्वामी विवेकानंद ने भारतीय वेद, योग और अध्यात्म को देश-विदेश में पहुंचाया और हिंदू धर्म का पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार किया

इन्होंने कई अच्छी बातें कहीं जिसमें

1. उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते.

2. आप जो भी सोचेंगे, आप वही हो जाएंगे. अगर आप खुद को कमजोर सोचेंगे तो आप कमजोर बन जाएंगे. अगर आप सोचेंगे की आप शक्तिशाली हैं तो आप शक्तिशाली बन जाएंगे.

इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी विषय पर ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता कराया गया प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को पुरस्कृत किया गया कार्यक्रम में संस्थान सदस्य राहुल कुमार शर्मा अक्षय कुमार गुंजेश कुमार सिंह हनी गिरी गोस्वामी डॉक्टर राजेश गोस्वामी डॉ बबीता मे डॉ प्रीतम कुमार सतीश कुमार ठाकुर डॉ रूपेश कुमार डॉ रंजीत रमन उपस्थित थे। updated by gaurav gupta 

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