भरगामा/अररिया(संवाददाता अंकित सिंह) : सरकारी बाबू अपने घर से ही चलाते पंचायत सरकार भवन,बंद पड़े दरवाजे के ताले में लग चुकी जंग,ए साहब यह ठीक नहीं
कुछ सालों पहले एक पंचायत सरकार भवन बनाने पर करोड़ो खर्च किए गए,लेकिन अब भवन हो गए खंडहर में तब्दील
जिले में सप्ताहिक जांच चल रहा है या फिर मजाक। ये हम नहीं कह रहे,बल्कि लोगों का कहना है। जिलेभर के आला अधिकारी हर पंचायत और गांवों में घूमकर विकास योजनाओं की जांच कर रहे हैं। गड़बड़ी पकड़ रहे हैं। ताकि लोगों को योजनाओं का फायदा मिल सके,लेकिन सवाल ये उठता है कि पंचायतों में लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए जिस पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया गया है। उनमें ताले लटके हैं। मुखिया,सरपंच,वार्ड सदस्य,पंच,पंचायत सचिव,पीआरएस,डाटा एंट्री ऑपरेटर समेत पंचायत से जुड़े तमाम कर्मचारी फरार रहते हैं। अपने घर से ही सरकार चला रहे हैं। जनता दर-बदर भटक रही है। सप्ताहिक जांच में कभी भी बंद पंचायत सरकार भवन की जांच नहीं हुई। नहीं उसे शुरू कराने की दिशा में कोई पहल हुई। अगर इसकी जांच हो जाए तो पंचायत की जनता का समझिए कल्याण हो जाए। फिर उन्हें प्रखंड दफ्तर के चक्कर लगाने नहीं पड़ते। वे डीएम और मुख्यमंत्री के यहां फरियाद लेकर नहीं जाते। इन फरियादियों का आंकड़ा पंचायत में ही कम हो जाता। सप्ताहिक जांच में मनरेगा,आवास योजना,स्कूल,अमृत सरोवर,कृषि,स्वास्थ्य समेत अन्य योजनाओं की जांच होती है,लेकिन कभी भी पंचायत सरकार भवन की जांच नहीं हुई।
जानिए क्या है पंचायत सरकार भवन
पंचायत सरकार को शक्तिशाली बनाने के लिए सरकार ने पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया। इसी भवन से पंचायत की सरकार चलनी है। जहां जनता को विवाद के निपटारा से लेकर जाति,आवासीय,हल्का रसीद समेत पंचायत से जुड़ी हुई सभी काम हो सके। इसके लिए प्रखंड और जिला कार्यालय में जाने की जरूरत न पड़े। ग्राम स्तर पर पंचायत सचिव समेत हर पंचायत कर्मी की उपलब्धता सुनिश्चित हाे,लेकिन जनप्रतिनिधि से लेकर सरकारी कर्मी तक पंचायत से फरार रहते हैं। या फिर मुखिया के घर से सरकार चलती है,लेकिन इनमें ताले बंद हैं। कब खुलेंगे,ये कोई नहीं जानता? गांववालों को मालूम है,यह एक सरकारी भवन है। शंकरपुर के लोगों ने बताया कि यहां पंचायत सरकार भवन कभी नहीं खुलता है। किसी भी काम के लिए प्रखंड जाना पड़ता है।
सप्ताहिक जांच से शुरू में हड़कंप,अब शांति
बिहार सरकार के मुख्य सचिव के आदेश पर सूबे भर के जिलों में सप्ताह में दो दिन सप्ताहिक जांच कराया जा रहा है। इस जांच में जिलेभर के प्रशासनिक अधिकारी शामिल होते हैं और योजनाओं की जांच करते हैं। शुरूआती दौर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी निकली। कई लोग नप गए और एफआईआर दर्ज हुई। इस जांच से हड़कंप मच गया,लेकिन अब शांति है। अब मुखिया व अन्य सरकारी अफसर और बाबू अपने पसंद वाले चयनित योजनाओं के पास ले जाते हैं। जहां सबकुछ ठीक होता है,लेकिन जहां गड़बड़ी होती है। वहां तो जाने ही नहीं देते। अधिकारियों के पास समय का भी अभाव होता है। वो भी जांच की खानापूर्ति कर वापस लौट जाते हैं। वरना जांच का जो फॉर्मेट है। उससे वाकई में जनता का कल्याण हो सकता है।
बोले पंचायती राज पदाधिकारी:
जिला पंचायती राज पदाधिकारी किशोर कुमार ने बताया कि बंद पंचायत सरकार भवनों का मरम्मत किया जा रहा है जल्द चालू कराया जाएगा। जिसके बाद पंचायत से जुड़े जनप्रतिनिधि व सरकारी कर्मी वहीं बैठेंगे। आगे उन्होंने कहा कि चालू पंचायत सरकार भवन में सरकारी आदेशानुसार कार्यालय पांच बजे तक संचालित होना चाहिए किस हालत में अधिकतर कर्मी समय से पहले कार्यालय छोड़ देते हैं या फिर कार्यालय को बंद रखते हैं छानबीन कर होगी कार्रवाई.
03 पंचायत सरकार भवन मुखिया को हैंडओवर
प्रखंड में 20 पंचायत हैं। इनमें से 03 पंचायतों में पंचायत सरकार भवन का निर्माण करा दिया गया है। व मुखिया के जिम्मे सौंप दिया गया है। ताकि पंचायत की सरकार यहीं से चले। मानो जनता की भलाई विभाग तुरंत करना चाहती है। इसमें विलंब अपराध है। 02 पंचायतों को चिन्हित किया गया है। जिनमें पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए उन सभी चयनित पंचायतों में भूमि की चयन प्रक्रिया चल रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार एक करोड़ 14 लाख की लागत से एक पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया गया है। शुरूआती समय में जिसका निर्माण किया गया है। उसका बजट कुछ इधर-उधर हो सकता है,लेकिन जो नया पंचायत सरकार भवन बनना है। उसकी राशि एक करोड़ 14 लाख से ज्यादा है। अब समझिए अगर एक करोड़ 14 लाख के हिसाब से ही मानें तो 59.28 करोड़ जनता के टैक्स का पैसा पंचायतों में सरकार चलाने के लिए लगा दिया गया,लेकिन सरकार चलना तो दूर सरकार के बाबू उसमें बैठना भी मुनासीब नहीं समझते। यानी उस पैसे को बर्बाद कर दिया गया।
updated by gaurav gupta