– रामखिलाड़ी शर्मा जर्नलिस्ट* ✍✍✍✍✍✍✍
आपने लव जिहाद भी सुना है, लैंड जिहाद भी सुना है. लेकिन हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी का जिस तरह से कत्ल किया गया, जिस तरह से कमलेश तिवारी की योजना बनाई गई तथा फिर उसको सफलतापूर्वक अंजाम भी दिया गया, वो ये साबित करने के लिए काफी है कि लव/लैंड जिहाद के मुकाबले डिजिटल जिहाद बहुत ज्यादा खतरनाक है..!!
कमलेश तिवारी की जिन्दगी में सब कुछ सही चल रहा था. फिर एक दिन उन्हें रोहित सोलंकी नाम के किसी व्यक्ति ने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट सेंड की. रोहित सोलंकी नाम की इस फेसबुक आईडी से हिंदूवादी पोस्ट की जाती थीं, अतः कमलेश तिवारी ने ये फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली. यही वो समय था जब कमलेश तिवारी डिजिटल जिहाद में फंस गये..!!
दरअसल ये रोहित सोलंकी कोई और नहीं बल्कि अशफाक था. वो अशफाक जिसने कमलेश तिवारी के ऑफिस में आकार उनकी ह्त्या की थी. अशफाक ने फेसबुक पर रोहित सोलंकी के नाम से कमलेश तिवारी से मित्रता की. इस दौरान रोहित सोलंकी(अशफाक) फेसबुक पर लगातार हिंदूवादी पोस्ट करता रहा, जिससे कमलेश तिवारी प्रभावित हो गए. रोहित सोलंकी(अशफाक) तथा कमलेश तिवारी के बीच मैसेंजर पर बातचीत होने लगी जो आगे चलकर मोबाइल कालिंग में तब्दील हो गई..!!
अब रोहित सोलंकी बजे अशफाक ने डिजिटल जिहाद का अगला दांव चला तथा उसने हिंदू समाज पार्टी में पद मांगा. कमलेश तिवारी उसके जाल में फंस चुके थे. उन्होंने रोहित सोलंकी को हिंदू समाज पार्टी का सूरत आईटी सेल प्रभारी बनाया दिया. अशफाक डिजिटल जिहाद को कितनी सतर्कता से अंजाम दे रहा था कि कमलेश तिवारी के सहयोगी तथा हिंदू समाज पार्टी की गुजरात इकाई उससे(रोहित उर्फ अशफाक) के संपर्क में थी लेकिन वो भी नहीं पहिचान पाए..!!
इस दोरान कमलेश तिवारी ने रोहित सोलंकी से आधार कार्ड मांगा तो उसने दे दिया. दरअसल यहीं से अशफाक जे डिजिटल जिहाद की शुरुआत की थी. रोहित सोलंकी कोई और नहीं बल्कि अशफाक जहां काम करता था, वहां का चीफ था अर्थात अशफाक का बॉस था. अपने बॉस रोहित सोलंकी के नाम से अशफाक ने फेसबुक आईडी बनाई थी तथा जब कमलेश तिवारी ने आधार कार्ड मांगा तो अशफाक ने रोहित सोलंकी के आधार कार्ड पर अपना फोटो चिपकाकर फोटो स्टेट कराकर भेज दिया. कमलेश तिवारी तथा उनकी टीम ने इस फर्जी आधार कार्ड की जांच नहीं की, कोड स्कैन नहीं कराया तथा रोहित सोलंकी(अशफाक) को सूरत आईटी सेल चीफ बना दिया..!!
अशफाक अपने छ्द्मनाम रोहित से ही कमलेश से चैट किया करता था. फेसबुक पर बातचीत के दौरान ही उसने कमलेश तिवारी से मुलाकात का वक्त मांगा था. ये भी पता चला है कि रोहित सोलंकी(अशफाक) ने कमलेश तिवारी को 50 हजार डोनेशन देने की बात भी कही थी. कमलेश तिवारी उसके जाल में फंस चुके थे तथा उन्होंने अशफाक को मुलाकात का वक दे दिया क्योंकि वह उनकी पार्टी का पदाधिकारी भी था..!!
रोहित सोलंकी(अशफाक) ने इस फेसबुक आईडी की प्रोफाइल पिक के तौर पर हिंदू समाज पार्टी का बैनर ही लगा रखा था, जिसकी टैगलाइन थी, ‘एक कदम हिंदुत्व की ओर’. इसी को देखते हुए कमलेश तिवारी ने फेसबुक रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली थी. फिर अशफाक डिजिटल जिहाद के अपने पासे फैंकता चला गया जिसमें कमलेश तिवारी फंसते चले गए. अंत में वही हुआ जो होता है. कमलेश तिवारी को हलाल कर दिया गया, ISIS के अंदाज में बेरहमी से मार डाला गया..!!
अब मैं हिंदुत्व तथा राष्ट्रसेवा को समर्पित अपने मित्रों को बताना चाहता हूँ कि वो इस डिजिटल जिहाद से सावधान रहें. किसी भी अनजान की फ्रेंड रिक्वेस्ट आये, एक्सेप्ट न करें, किसी को संगठन में जोड़ने या अपना साथी बनाने से पहले उसके डॉक्यूमेंट की जाँच करें. केवल उसके ही नहीं बल्कि उसके माता-पिता दोनों के डॉक्यूमेंट मांगें, उनकी जाँच कराएं तभी उनसे संपर्क बढ़ाएं. अगर वह आपकी विचारधारा का होगा तो कमलेश तिवारी हत्याकांड के पीछे की साजिश को देखते हुए व इससे इंकार नहीं करेगा बल्कि न सिर्फ अपने बल्कि अपने माता-पिता के भी डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराएगा. साथ ही बिना वैरिफिकेशन के किसी से मुलाकात न करें..!!
एक बात और बताना चाहता हूं कि जब भी किसी नए सोशल मीडिया मित्र से मुलाकात करें तो अपने किन्हीं 2-3 विश्वसनीय लोगों को इस बारे में सूचित करके जाएं कि आप फलां आदमी से फलां जगह मिलने वाले हो. ये सावधानी जरूरी है क्योंकि आप धर्मकाज तभी कर पाओगे जब आप जीवित रहोगे. आपको सँभल कर रहना होगा, ये न सिर्फ आपके बल्कि आपके परिवार, देश तथा धर्म के भी हित में है..!! updated by gaurav gupta