बनमनखी(पूर्णियां) – बनमनखी अनुमंडल अंतर्गत धरहरा पंचायत के राधानगर फुलबाँस टोला स्थित कबीर मठ में त्रिदिवसीय कबीर लीला ज्ञान यज्ञ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
जिसमे सन्त सम्राट सद्गुरु कबीर साहेब के अनुयायी सुखदेव साहेब,वृंदावन।मोती साहेब,कुपरिया।उमा साहेब,नेपाल।वेदानन्द साहेब,मकदमपुर।स्वामी आनंद बाबा, शालिग्राम साहेब,उमेश साहेब इत्यादि साधु महात्माओं के प्रवचन को श्रवण हेतु दिन रात हज़ारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।
कबीर लीला महायज्ञ एवं सत्यसंग समारोह का विधिवत संचालन मोदनारायण साह ने किया और यह दो पाली में संचालित होता रहा।इस ज्ञान यज्ञ में प्रातः कालीन से सायं कालीन,सत्यसंग,आरती, भजन,प्रवचन एवं तीनों दिन रात्रिकालीन कबीर लीला नाटक के माध्यम से जात-पात,धर्म-मजहब से ऊपर उठकर मानव में मानवता के प्रति सद्भाव स्थापित करने का पुरजोड़ प्रयास किया।जिसमे सन्त महात्मा हो या नाटकीय कलाकार सभी ने विश्व के इकलौते समाज सुधारक व महान प्रणेता सन्त सद्गुरु कबीर साहेब के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला और सन्त सद्गुरु द्वारा चलाये गये मुहीम जैसे छुआछूत,जात-पात,धर्म-मजहब,नशा- हिंसा,इत्यादि सामाजिक कुरीति व कमी को दूर करने का खड़े लहज़े में अथक प्रयास किया।
सहरसा से आये अभय यादव के कलाकारों की टोली ने अपने नुक्कड़ नाटकीय पेशकश में उम्दा छवि व अभिनय दिखाते हुए विभिन्न विधाओं जैसे हिन्दू-मुस्लिम,राजा,फ़क़ीर,राहगीर,सिपाही,बेसहारा,इत्यादि वेश भूषा धारण कर सराहनीय प्रस्तुति दिया।
प्रवचन की कड़ी में उपस्थित सन्तों के सहज व सरल भाषा शैली से स्रोताओं को मधुरभाषी शब्दों से सन्देश दिया जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं बड़े ही आनन्द के साथ अमृतवाणी ग्रहण किये।
सन्तों ने मानव जीवन की गरिमा पर विशेष प्रकाश डालते हुए मानव के दैनिक गतिविधि पर भी प्रकाश डाला कि युग युगान्तर से सन्तों ने अपने प्रवचन में स्रोताओं को सदैव नई दिशा दिया।फलस्वरूप हम विभिन्न सामाजिक कुरीति व कमी समाप्त करने में सफल रहे किन्तु आज के परिवेश में हम साधु महात्माओं का उपेक्षा करने लगे हैं सन्तों के बताये ज्ञान को हम जीवनचरित्र में नही उतारते हैं जिससे हम आपसी सद्भाव भाईचारे स्थापित करने में विफल हो रहे हैं।सिर्फ देवी देवताओं के पूजनेभर से हम मानव जीवन का कल्याण सम्भव नही है।सन्त ही एक ऐसे माध्यम हैं जो हमे भला बुरा,सत्य झूठ,पाप पुण्य इत्यादि में स्पष्ट अंतर समझते हैं किंतु जीवंचरितार्थ करने के बजाय अनदेखी कर खुद को अज्ञानता के अंधेरे में रखने को आतुर हैं।
हम मानव को मानव जीवन की गरिमा को समझना होगा।ताकि हम मानव का जीवन सार्थक हो।
सन्तों ने धर्म धार्मिकता से हटकर सामाजिक उत्थान पर विशेष प्रकाश डालते हुए द्रावित भाव से जम्मू- कश्मीर के पुलवामा में हुए हाली आत्मघाती हमले में शहीदों के आत्मा के शांति हेतु भावपूर्ण श्रधांजलि दिया और कहा कि सरकार की अनोखी पहल का समर्थन करना चाहिये जो हर घर शौचालय के सपने सकारने हेतु नई नई योजना चला रही है जो स्वीकार्निय है।इससे नया समाज का निर्माण होगा।
सन्त सम्राट सद्गुरु कबीर साहेब युक्ति में कहा गया है-“दुर्लभ मानुष जनम है,देह न बारम्बार।तरुवर ज्यों पत्ता झड़े,बहुरे ना लागे डार”।
सन्तों ने सन्त सम्राट के अमृतवाणी को दोहराते हुए कहा कि दूसरों की देख देखी कुछ लोग सम्मान पाने के लिये परमात्मा की भक्ति करने लगते हैं जब वह नही मिलता तब वह मूर्खों की तरह इस संसार में ही दोष निकालने लगते हैं।
सन्तों ने कहा कि हिन्दू राम का भक्त है,तुर्क रहमान का प्यारा है,इसी बात पर दोनों आपस में लड़कर मौत के मुह में जा पहुंचते हैं तब भी कोई सत्य को जानने में अक्षम रह जाते हैं।जब गुण को परखने वाला ग्राहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है,जब ऐसा ग्राहक नही मिलता है तब गुण कौड़ी के भाव में चले जाता है।
सन्तों ने कहा कि इस संसार में जो उदय हुआ उसका अंत होगा,जो विकसित हुआ वह मुरझा जायेगा,जो चीना गया वह गिर जायेगा और जो आया है उसका जाना सुनिश्चित है।सन्तों के अमृतवाणी व सरपंच अरुण कुमार यादव के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के बाद त्रिदिवसीय कबीर लीला महायज्ञ व सत्यसंग समारोह का सफलता पूर्वक सम्पन्न कराया गया।
कबीर चेतना समिति के सभी कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन में कड़ी लगन मेहनत से कई महीनों बाद इस यज्ञ को मूर्त रूप देने में सफल हुआ।
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में समाज व कबीर आश्रम राधानगर फुलबाँस टोल के मठाधीश सन्त रामस्वरूप साहेब ने कई माह पूर्व से दिन रात एक दूर दराज व पास समीप के समाज से आर्थिक,शारीरिक एवं सामाजिक मदद लिया फलस्वरूप आयोजन सफल रहा। सहयोग में पूर्व मुखिया डॉ0हरिलाल दास,डॉ0जयकांत दास,पंच जगदीश दास,तारणी दास, नरेश दास,पूर्व सरपंच बेचन शर्मा,दुर्बल दास,सफेदी दास,त्रिवेणी शर्मा,पवन दास,दिनेश दास,नन्दन कुमार,दल्लू दास,अनिल शर्मा,चन्दन शर्मा,सचिदानन्द भगत,मोतिदास,प्रभु ततमा,भरत दास,रामसेवक ततमा,इत्यदि ने समर्पित भाव से अपना अहम योगदान दिया।
updated by gaurav gupta