उत्तर प्रदेश – क्या है मायावती सरकार में हुआ 1400 करोड़ का स्मारक घोटाला* ??
*जिसमें ED ने मारा छापा*
दिनाँक 8 फरवरी को उत्तर प्रदेश की सियासत उस वक्त गर्म हो गई जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बसपा सुप्रीमो व यू पी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को सीधे निर्देश दे दिया कि जनता के पैसे को वापस खजाने में भरो ।
फिलहाल समूचे भारत मे आए दिन पड़ रही रेड और साथ आए हैवी वेट से हैवी वेट कौन ?? जबसे मायावती और अखिलेश यादव दोनों के बीच गठबंधन हुआ और इसी के साथ सीबीआई और ईडी ने अपने जीपीएस में उत्तर प्रदेश का पता डाल दिया ।
पहले अखिलेश सरकार के दौरान हुए खनन घोटाले में सीबीआई ने छापेमारी की इससे अखिलेश यादव के कान खड़े हो गये जिसके बाद 31 जनवरी को ईडी ने मायावती काल में हुए स्मारक घोटाले में छापेमारी की एकसाथ लखनऊ और एनसीआर के 6 ठिकानों पर की छापेवारी इस छापेमारी में क्या निकला, वो तो बाद में पता चलेगा हम आपको बताते हैं आखिर है क्या ये स्मारक घोटाला ??
हम आपको बतादें की वर्ष 2007 में सत्ता में पहली बार अपने दम पर आई बहुजन समाज पार्टी. 403 में से 206 सीटें जीतकर. मुख्यमंत्री बनी बसपा सुप्रीमो मायावती. उन्होंने फिर देखा एक सपना, लखनऊ और नोएडा में हो पार्क अपना. सो कई पार्क और स्मारक बने. अम्बेडकर और कांशीराम के नाम पर. 2007 से लेकर 2012 के बीच ,
वर्ष 2012 में मायावती की सरकार सत्ता से बाहर हो गई और एकबार फिर आई समाजवादी पार्टी की बहार और सीएम बने अखिलेश यादव और फिर हुई इस स्मारक घोटाले की जांच कायदे से क्या-क्या हुआ आईये समझिए –
ये पार्क बनवाने का शौक नया नहीं है. उत्तर प्रदेश में मुलायम सरकार थी तो बना था लोहिया पार्क. मायावती आईं तो उन्होंने अंबेडकर और कांशीराम स्मारक बनवाए. मुलायम ने पार्क में लगवाए थे पेड़. मायावती आईं तो पार्कों में लगवाया हाथी. वही जो बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिह्न है. इसकी सप्लाई में सब कॉन्ट्रैक्टर थे मदन लाल. क्रिकेट वाले नहीं, हाथी वाले. उनको हाथी बनाने के लिए 48 लाख रुपये देने का वादा किया गया था. पर दिए गए सिर्फ 7.5 लाख. मदनलाल ने जब बकाया रकम मांगी तो मिली जान से मारने की धमकी. चुप बैठ जाओ वरना टपका दिए जाओगे धमकी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के अधिकारी और मेन कॉन्ट्रैक्टर दे रहा था मदनलाल की बुद्धि ठनकी और उन्होंने करवा दी एफआईआर जिसमे मदनलाल ने बयान में कहा –
इस पर लखनऊ पुलिस ने आदित्य को कर लिया गिरफ्तार. आदित्य ने फिर मुंह खोला, बोले- हम कहां से पूरी पेमेंट दे दें. मेरी खुद की पेमेंट यूपीआरएनएन ने रोक रखी है. बताया कि उसे नोएडा के पार्क के लिए 60 हाथियों का ऑर्डर मिला था. पर जब पार्क को लेकर विवाद हुआ तो मायावती ने 20 हाथियों के साथ ही उसका उद्घाटन कर दिया. इससे उसके 40 हाथी और पैसे फंस गए.
हालांकि आदित्य के इस दावे के बाद उसके लखनऊ स्थित गोदाम में छापा मारने पर करीब 68 लाख का कैश बरामद हुआ था।मामले में पुलिस ने जब यूपीआरएनएन की फाइलें खंगाली तो इसमें बड़ी गड़बड़ी मिली. पाया गया कि एक हाथी की लागत करीब सवा चार लाख रुपये थी. मगर इसकी पॉलिश और धुलाई के नाम पर हर हाथी पर 60 लाख रुपये दिए गए.
अब मायावती की इज्जत को अपनी इज्जत बताने वाले अखिलेश यादव तब तक मुख्यमंत्री बन चुके थे. और शुरुआती जांच के बाद मई 2012 में सामने आए थे और बोले थे कई रोचक बोल ।
पत्रकारों ने जब कहा कि सरकारी खर्च तो करीब 7000 करोड़ का है, तो 40,000 करोड़ का घोटाला कैसे. इस पर अखिलेश बोले कि इसमें आपको जो जमीन अधिग्रहित की गई उसकी कीमत भी जोड़नी होगी. जो जेल हटाई गई, स्टेडियम हटाया गया, 153 रेजिडेंशियल अपार्टमेंट हटाए गए, उनकी कीमत भी जोड़नी पड़ेगी.
लोकायुक्त की रिपोर्ट पर एक जनवरी 2014 को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में धारा 409, 120-बी, 13 (1) डी और 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया. लेकिन चार्जशीट आज तक दाखिल नहीं हो सकी. हालांकि इकोनॉमिक ऑफेंस विंग की जांच पूरी होने पर मामला पहुंच गया ईडी के पास. हालांकि ये ठंडे बस्ते में पड़ा रहा. 21 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांग ली. और अब ईडी ने तेजी दिखाते हए मामले में छापेमारी सुरु कर दी जिससे दौलत की बेटी के कान खड़े हो गये ।
रिपोर्ट – महेंद्र मणि पाण्डेय ( मुम्बई ), updated by gaurav